स्वास्थ्य

स्वास्थ्य सूचकांक में उप्र सबसे नीचे, केरल सबसे ऊपर : नीति आयोग

नई दिल्ली, 9 फरवरी (आईएएनएस)| सुधार के मामले में सबसे तेज राज्यों में शामिल होने के बावजूद स्वास्थ्य संकेतकों में 21 बड़े राज्यों में उत्तर प्रदेश सबसे नीचे है, जबकि केरल सबसे ऊपर है।

केरल के बाद पंजाब और तमिलनाडु का स्थान है। नीति आयोग के स्वास्थ्य सूचकांक रैकिंग में शुक्रवार को यह घोषणा की गई। सालाना वृद्धिशील प्रदर्शन के संदर्भ में उप्र की रैंकिंग झारखंड और जम्मू और कश्मीर के बाद तीसरे स्थान पर रही।

‘स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत’ रपट में कहा गया है, झारखंड, जम्मू और कश्मीर और उप्र ने आधार वर्ष (2014-15) से समीक्षाधीन वर्ष (2015-16) तक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सर्वाधिक सुधार किया है। इसके संकेतकों में नवजात मृत्यु दर, पांच साल की उम्र तक के बच्चों की मृत्यु दर, पूर्ण टीकाकरण कवरेज, संस्थागत प्रसवों और एंटी-रेट्रोवायरल थैरेपी करवा रहे एचआईवी ग्रस्त लोगों की संख्या (पीएलएचआईवी) शामिल है।

हालांकि, यह देखा गया है कि जिन राज्यों में सबसे निचले स्तर के विकास से शुरुआत की है, उन्हें राज्यों की वृद्धिशील प्रगति में फायदा मिला है और उनका स्वास्थ्य सूचकांक सुधरा है, लेकिन इन राज्यों के लिए इस सुधार को बरकरार रखना और बेहतर स्वास्थ्य का स्तर बनाए रखना एक चुनौती है।

बड़े राज्यों में पंजाब ने तीन पायदान की छलांग लगाई है और दूसरे स्थान पर तमिलनाडु को पीछे घकेल दिया है। वहीं, जम्मू और कश्मीर तथा झारखंड दोनों राज्यों ने चार-चार पायदान की छलांग लगाई है और क्रमश: 7वें और 14वें स्थान पर रहे हैं।

हालांकि कुल स्कोर में सुधार के बावजूद उत्तर प्रदेश अपनी रैंकिंग को सुधार नहीं पाया और बिहार और राजस्थान के बाद तीसरे स्थान पर रहा।

छोटे राज्यों में मिजोरम पहले स्थान पर रहा, उसके बाद मणिपुर रहा। सालाना वृद्धिशील प्रदर्शन के मामले में गोवा शीर्ष पर रहा और मणिपुर दूसरे स्थान पर रहा।

केंद्र शासित प्रदेशों में, लक्षद्वीप दोनों ही सूचकांकों में शीर्ष पर रहा।

नीति आयोग ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत इस सूचकांक को प्रोत्साहन से जोड़ा जाएगा, जो इस तरह की कवायद के महत्व को रेखांकित करता है।

इस रपट को जारी करते हुए नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि यह स्वास्थ्य परिणामों को प्राप्त करने की गति में तेजी लाने के लिए सहकारी और प्रतियोगी संघवाद का लाभ उठाने के एक उपकरण के रूप में काम करेगा।

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