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गंभीर बीमारियों के इलाज से बेहतर है मच्‍छरों से बचाव

लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र एवं विज्ञान संग्रहालय दिवस के आयोजन के तहत आंचलिक विज्ञान नगरी में विविध कार्यक्रमों का शुक्रवार को समापन हो गया। इस अवसर पर ‘‘मच्छरों के उन्मूलन एवं मच्छर जनित बीमारियाँ का निदान’’ विषय पर नारा लेखन प्रतियोगिता एवं ‘‘मच्छर एवं मच्छरों से होने वाली बीमारियाँ’’ विषय पर लोकप्रिय व्याख्यान हुआ। व्याख्यान डॉ. रमेश चन्द्रा, स्वास्थ्य विभाग लखनऊ की ओर से प्रस्तुत किया गया।

व्याख्यान में डॉ. रमेश चन्द्रा  ने बताया कि देश में मच्छरों की लगभग 252 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें एनोफिलिस की 54, एडिस की 111, क्यूलेक्स की 57 एवं मेनसोनिया की 4 प्रजातियाँ शामिल है।

भारत में पाई जाने वाली क्यूलेक्स प्रजाति सबसे अधिक है। उन्होंने अपने व्याख्यान में एडिस एजिप्टि मच्छर के चित्र दिखाकर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने आगे बताया कि मच्छरों की विशेष आवाज उनके परों से होती हैं, न कि उनके मुख से।

उन्होंने बड़े ही रोचक ढंग से बताया कि इन मच्छरों को काटने से मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, चिकिनगुनिया, ज़ीका, येलो फीवर, जापानीज इनसेफेलाइटिस जैसी बीमारियाँ होती है जिनके चित्रों द्वारा सजीव प्रदर्शन भी किया।

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि मच्छरों से मिलते-जुलते दूसरे कीटों द्वारा भी बहुत सी बीमारियाँ होती है जैसे कि कालाजार, ड्रेकून्यूकिलेसिस, प्लेग और जीआरडिआसिस इत्यादि। उन्होंने मच्छर जनित बीमारियों के रोकथाम के लिए सबसे उचित तरीका यह सुझाया कि मच्छरों को पनपने ही न दिया जाए।

एक हप्ते से अधिक घर में कहीं पर भी पानी का जमाव न होने दें क्योंकि इसके बाद उस पानी में मच्छर व अन्य कीट अपना जीवन चक्र पूरा कर लेते हैं। साथ ही उन्होंने मच्छरों से बचने के लिए दिन में पूरी आस्तीन के कपड़े पहनने और रात में मच्छरदानी का प्रयोग करने की सलाह दी।

समापन समारोह में मुख्य अतिथि ने प्रतिभागी बच्चों को पुरस्कार दिए। आज के कार्यक्रमों में लगभग 315 बच्चों ने हिस्‍सा लिया।

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