आईएमए के डॉक्टरों ने मांगों के समर्थन में किया अनशन
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के एक लाख से ज्यादा सदस्यों ने अपनी मांगों के समर्थन में गांधी जयंती के दिन सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक अनशन किया।
12 घंटे के अनशन के दौरान देशभर में आईएमए की विभिन्न शाखाओं द्वारा 1000 से अधिक जनरल बॉडी मीटिंग की गईं और महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखे गए। पत्र में मांग की गई कि चिकित्सा समुदाय के सामने आ रही समस्याओं को तत्काल आधार पर हल किया जाए और स्वास्थ्य सेवाओं को सभी के लिए सुलभ और सस्ता बनाने के प्रयास किए जाएं।
आईएमए, आधुनिक चिकित्सा से जुड़े तीन लाख से अधिक डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करती है। देश के 31 राज्यों में स्थित 1,700 शाखाओं के जरिये देश यह व्यावसायिकता और वफादारी और चिकित्सा नियमों को बढ़ावा देते हुए देश में स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति में सुधार के लिए काम कर रही है।
आईएमए ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में निर्धारित लक्ष्यों का पूर्ण समर्थन किया है। हालांकि, ये लक्ष्य तभी प्राप्त हो सकते हैं, जब सरकार व अन्य सभी हितधारक आपसी विश्वास के साथ मिलकर काम करें।
आईएमए के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल और मानद महासचिव डॉ. आर.एन. टंडन ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा, आईएमए मेडिकल समुदाय के सामने आ रही चुनौतियों का शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रही है। चिकित्सा पेशे की समस्याओं पर इंटर-मिनिस्ट्रीज कमेटी की सिफारिशों पर अमल करने की मांग हम पिछले एक साल से करते आ रहे हैं। अभी तक किसी भी सिफारिश या समाधान को लागू नहीं किया गया है। विरोधस्वरूप 10,000 से अधिक डॉक्टरों ने 6 जून, 2017 को राजघाट पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया और 90,000 से अधिक डॉक्टरों ने दिल्ली चलो विरोध रैली में डिजिटल रूप से भाग लिया।
उन्होंने कहा, आज हम शांतिपूर्ण भूख हड़ताल के जरिये प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हैं कि हमारे मुद्दों को समयबद्ध तरीके से सुलझाया जाए। डॉक्टरों के खिलाफ बढ़ती हुई घटनाओं और डॉक्टरों पर आपराधिक मुकदमे चलाने जैसी गंभीर समस्याओं को तुरंत हल किए जाने की जरूरत है।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सरकार छह सप्ताह के अंदर अंतर-मंत्रिस्तरीय समिति की सिफारिशें लागू करे और सिंगल विंडो जवाबदेही की व्यवस्था हो।