मोटे लोगों में स्वाइन फ्लू का खतरा 3 गुना अधिक
नई दिल्ली, 3 सितम्बर (आईएएनएस)| मोटापे से ग्रस्त लोगों में स्वाइन फ्लू संक्रमण से प्रभावित होने की संभावना अन्य लोगों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक होती है।
हैबिलाइट ओबेसिटी ग्रुप के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। स्वाइन फ्लू एच1एन1 इन्फ्लुएंजा के कारण मानव श्वसन प्रणाली को प्रभावित करने वाला संक्रमण है।
डॉ. कपिल अग्रवाल, वरिष्ठ सलाहकार एवं निदेशक (हैबिलाइट संेटर फॉर बैरिएट्रिक एवं लैप्रोस्कोपिक सर्जरी) बताते हैं कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में आमतौर पर पहले से ही मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और फेफड़ों की बीमारी आदि। इन सभी समस्याओं के कारण मोटे लोगों में स्वाइन फ्लू के संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। अन्य संक्रमणों के कारण फेफड़ों पर अतिरिक्त भार और दबाव के कारण स्वाइन फ्लू के संक्रमण से लड़ना मुश्किल हो जाता है।
चिकित्सीय भाषा में जिस व्यक्ति का बीएमआई 30 या उससे अधिक होता है, वह अत्यधिक मोटापे के शिकार की श्रेणी में आता है। वहीं दूसरी तरफ वह व्यक्ति जिसका बीएमआई 30 से थोड़ा कम होता है, उसे इस संक्रमण का खतरा भी कम होता है हालांकि वह भी अधिक वजन की श्रेणी में ही आता है। वहीं अत्यधिक मोटापे के शिकार लोगों में जिनका बीएमआई 40 से अधिक होता है, उनमें स्वाइन फ्लू के कारण मौत का भी खतरा होता है।
यशोदा हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. मनीश त्रिपाठी ने बताया कि हालांकि वर्तमान समय में इन्फ्लुएंजा के बचाव के लिए लगने वाले इंजेक्शन ही फ्लू से लोगों की रक्षा करने का सर्वोत्तम उपाय है लेकिन फिर भी यह इंजेक्शन सभी मामलों में प्रभावी साबित नहीं होते हैं। सामान्य व्यवहार में यह पाया गया है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों को इन्फलुएंजा शॉट्स देने के बावजूद उनमें संक्रमण से प्रभावित होने का खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हो पाता। उन्हें इन्फ्लुएंजा व फ्लू जैसी बीमारियां काफी हद तक प्रभावित करती हैं।
उन्होंने कहा कि इस तथ्य के पीछे का कारण यह है कि मोटे लोगों की टी-कोशिकाएं ठीक से काम नहीं कर पाती हैं। यही वो कोशिकाएं हैं जो इन्फ्लुएंजा के प्रभाव से सुरक्षा करती हैं। यह बात अलग-अलग अध्ययनों में साबित भी हो चुकी है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में टी कोशिकाएं इन्फ्लुएंजा इंजेक्शन पर विपरीत प्रतिक्रिया देती हैं। इसलिए मौसमी और महामारी इन्फ्लुएंजा वायरस संक्रमण से बचाव के लिए हम रोगियों को दवाइयों के अलावा स्वस्थ आहार की आदतों, व्यायाम, योग के वैकल्पिक उपचार को अपनाने की सलाह देते हैं।