सांस लेना इसलिए बहुत जरूरी है क्योंकि सांस के माध्यम से हमारे शरीर को ऑक्सीजन मिलता है, जो हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी है। शरीर के सिस्टम से गुजरने के बाद ये ऑक्सीजन कार्बन डाई ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है और सांस की ही क्रिया के दौरान शरीर से बाहर निकल जाता है।
वैसे तो सांस नाक से ही ली जाती है। लेकिन कुछ विशेष स्थितियों में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए नाक के अलावा मुंह से भी सांस लेने ली जाती है। इस तरह हम दोनों ही अंगों से सांस लेते हैं।
मुंह से सांस लेने की आदत
सर्दी-जुकाम की समस्या या किसी और वजह से नाक बंद होने पर कभी कभी मुंह से सांस ले ली जाती है। लेकिन अगर किसी को मुंह से सांस लेने की आदत हो जाए, तो ये बहुत खतरनाक साबित हो सकता है, विशेष रूप से बच्चों के लिए। अगर अक्सर नाक से सांस न लेकर मुंह से सांस ली जाती है तो इसके पीछे ये वजह हो सकती है।
मुंह के सूखेपन की समस्या
अगर बच्चा नाक की जगह मुंह से अधिक सांस लेता है, तो उसे मुंह के सूखेपन (ड्राई माउथ) की परेशानी हो सकती है। जब बच्चे मुंह से सांस लेते हैं, तो हवा उनके पूरे मुंह से गुजरती है और अपने साथ नमी को भी ले जाती है। मुंह को बैक्टीरिया से बचाने के लिए आपके मुंह में सलाइवा की पर्याप्त मात्रा होना बेहद जरूरी है।
मुंह और दांतों के आकर में हो सकता है बदलाव
मुंह से सांस लेने पर बच्चे के चेहरे और दांतों की बनावट भी बिगड़ सकती है। जब बच्चा लंबे समय तक मुंह से सांस लेता है, तो उसका रूप बिगड़ सकता है।
नींद न आने की समस्या
मुंह से सांस लेने पर कई खतरनाक बीमारियाँ भी हो सकती है। मुंह से सांस लेने के दौरान सही मात्रा में ऑक्सीजन शरीर के अंदर नहीं पहुंच पाती है, इसकी वजह से धमनियों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसा होने पर हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा हो सकता है नींद न आने की समस्या भी हो सकती है।
ऑक्सीजन की कमी की हो जाती है समस्या
मुंह से सांस लेने पर फेफड़ों में तो सही मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है, लेकिन इस दौरान सांस नली सूख जाती है, जिसकी वजह से कुछ मात्रा में ऑक्सीजन अलविओली में खप जाता है। ये स्थिति कई बार खतरनाक साबित हो सकती है।