आज कल की बदलती लाइफस्टाइल के चलते पूरे विश्व में हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी शारीरिक समस्या से परेशान रहता है। पेट के कैंसर की समस्या एक घातक समस्या है और कई शोधों से ये पता चला है कि पेट का कैंसर कई सालों में धीरे-धीरे विकसित होता जा रहा है। इस गंभीर बीमारी की शुरूआत में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिख पाते हैं।
इस बीमारी में यह कुछ सामान्य लक्षण दिखयी देते हैं जैसे भूख कम लगाना, वजन कम हो जाना, पेट में दर्द रहना, खाना न पचना, मतली, उल्टी (रक्त के साथ या बिना उसके), पेट में सूजन आ जाना या तरल पदार्थ का निर्माण, और मल में रक्त आना। इन लक्षणों में से कुछ का इलाज संभव है, क्योंकि वे समय पर दिखाई देते हैं और गायब हो जाते हैं, लेकिन कुछ लक्षणों का इलाज संभव नहीं हो पाता।
हाल ही में एक शोध किया गया जिसमें कक्यूर्मा लॉन्गा (हल्दी के पौधे) की जड़ों से निकले करक्यूमिन को पेट का कैंसर पर रोक लगाने या उससे निपटने में काफी हेल्पफुल पाया गया है।
जानें क्यों हो जाता है पेट का कैंसर
बहुत अधिक तनाव में रहना, धूम्रपान करना और अल्कोहल का प्रयोग करना उच्च दर के पेट के कैंसर के प्रमुख कारण हो सकते हैं। धूम्रपान खास कर कैंसर की समस्या की संभावना को बढ़ा देता है।
भारत में कई स्थानों पर, आहार में फाइबर सामग्री की मात्रा कम पाई जाती है। इसके साथ ही बहुत अधितक मसालेदार भोजन और मांसाहारी भोजन का सेवन करने से पेट की परत में सूजन आ जाती है, इसे अगर छोड़ दिया जाए तो कैंसर की समस्या हो सकती है।
जानिए क्या है पेट के कैंसर का इलाज
पेट के कैंसर के लिए पर्याप्त फॉलो-अप और पोस्ट-ट्रीटमेंट देखभाल की की जरूरत पड़ती है। इसलिए नियमित रूप से जांच कराते रहना चाहिए और इसके लिए स्वास्थ्य टीम के संपर्क में रहना बहुत जरूरी हो जाता है।पहले कुछ सालों के लिए स्वास्थ्य टीम से हर 3 से 6 महीने में मिलने की सिफारिश की जाती है। उसके बाद वार्षिक मिला जा सकता है। पेट के कैंसर के निदान के बाद व्यक्ति का जीवन तनावग्रस्त हो जाता है लेकिन अगर आप इसका सही उपचार करते हैं, इसके साथ ही जीवनशैली में बदलाव कर और डॉक्टरों से परामर्श लेकर मरीज ठीक हो सकता है।