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डायबिटीज़ रोगियों में हार्ट अटैक का खतरा कम करता है आयुर्वेद, जानिए कैसे

CSIR की विकसित आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 है मधुमेह रोगियों पर असरदार

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की विकसित आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 मधुमेह रोगियों में हार्ट अटैक के खतरे को पचास फीसदी तक कम कर देती है। इस दवा के करीब 50 फीसदी सेवनकर्ताओं में ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन का स्तर नियंत्रित पाया गया। एक शोध में यह बात सामने आई है।

जर्नल ऑफ टड्रिशनल एंड कंप्लीमेंट्री मेडिसिन के ताजा अंक में इससे जुड़े शोध को प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार बीजीआर-34 मधुमेह रोगियों के लिए एक कारगर दवा के रूप में पहले से ही स्थापित है। मौजूदा समय में एलोपैथी दवाएं शर्करा का स्तर तो कम करती हैं लेकिन इससे जुड़ी अन्य दिक्कतों को ठीक नहीं कर पाती हैं। बीजीआर में इन दिक्कतों को भी दूर करने के गुण देखे गए हैं।

जर्नल के अनुसार भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशा-निर्देशों के तहत एक अस्पताल में 64 मरीजों पर चार महीने तक इस दवा का परीक्षण किया गया है। इस दौरान दो किस्म के नतीजे सामने आए। 80 फीसदी तक मरीजों के शर्करा के स्तर में कमी दर्ज की गई।

दवा शुरू करने से पहले शर्करा का औसत स्तर 196 (खाली पेट) था जो चार महीने बाद घटकर 129 एमजीडीएल रह गया। जबकि भोजन के बाद यह स्तर 276 से घटकर 191 एमजीडीएल रह गया। ये नतीजे अच्छे हैं लेकिन इस प्रकार के नतीजे कई एलोपैथिक दवाएं भी देती हैं। सीएसआईआर ने बीजीआर-34 दवा को बनाने की अनुमति एमिल फार्मास्युटिकल संस्था को दी गई है।

रिपोर्ट के अनुसार दूसरा उत्साहजनक नतीजा ग्लाइकोसिलेटेड हिमोग्लोबिन (एचबीए1सी) को लेकर है। 30-50 फीसदी मरीजों में इस दवा के सेवन से ग्लाइकोसिलेटेड हिमोग्लोबिन नियंत्रित हो गया जबकि बाकी मरीजों में भी इसके स्तर में दस फीसदी तक की कमी आई थी। ग्लाइकोसिलेटेड हिमोग्लोबिन की रक्त में अधिकता रक्त कोशिकाओं से जुड़ी बीमारियों का कारण बनती है। जिसमें हार्ट अटैक होना और दौरे पड़ना प्रमुख है। मधुमेह रोगियों में ये दोनों ही मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

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