गर्मी में हीट स्ट्रोक एक आम समस्या है, लेकिन ध्यान न दिया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है। क्या हैं इसके लक्षण और इससे कैसे बचें यह जानकारी होना जरूरी है। हीट एग्जॉशन गर्मी की एक आम समस्या है। यह तेज धूप या गर्मी में अधिक समय तक रहने से हो सकती है।
आमतौर पर शरीर से पसीने के रूप में गर्मी निकलती है लेकिन इस समस्या से शरीर का नैचरल कूलिंग सिस्टम काम करना बंद कर देता है, जिससे तापमान 100 डिग्री फैरेनहाइट से अधिक हो सकता है। इसे हीट स्ट्रोक कहते हैं। अगर शरीर का तापमान 102 डिग्री फैरनहाइट से अधिक होने लगे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी होता है।
क्या करें
हीट स्ट्रोक से बचने के लिए खूब पानी पिएं। यदि एल्कोहल लेते हों तो इसे तुरंत बंद करें और तरबूज, नीबू पानी, नारियल पानी, लीची, कीवी, खरबूजा, अंगूर, छाछ आदि का सेवन करें। मरीज को कच्चे आम का पना और इलेक्ट्रॉल का घोल दें। चाय-कॉफी या कोई भी गर्म पेय पदार्थ इस समय न दें। मरीज को ठंडे पानी से स्नान कराएं।
ध्यान रखें
- गर्मियों के दौरान ज्यादा मात्रा में पानी पीना चाहिए। पानी में थोड़ा नमक मिलाकर पीने से शरीर में नमक की कमी नहीं होगी और कमजोरी भी दूर होती है।
- तला और भारी भोजन करने से बचें। इसके अलावा गर्मियों में बाहर के खाने से परहेज करें। हीट स्ट्रोक के मरीजों को हल्का भोजन देना चाहिए।
- तेज धूप में बाहर निकलने से बचें। अगर निकलना ही हो तो अपने साथ पानी की बोतल, नीबू, छाता, ग्लूकोज, सन ग्लासेस अवश्य रखें।
- गर्मी के मौसम में ठंडे पानी में नीबू और चीनी-नमक मिलाकर पीने से हीट स्ट्रोक का खतरा कम होता है।
- दही का सेवन अवश्य करें। प्यास न लगे तो भी पानी पीते रहें और हीट स्ट्रोक के मरीज को हर दो-तीन घंटे पर छाछ देते रहें। इससे हीट का प्रभाव कम होगा और मरीज धीरे-धीरे ठीक होने लगेगा।
कारण
- हीट स्ट्रोक तेज धूप या अधिक गर्मी में बाहर निकलने के कारण होता है। इससे शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है।
- थाइरॉयड असंतुलन और शरीर में ब्लड शुगर के स्तर में कमी से (खासतौर पर डायबिटीज के मरीजों को) ऐसा हो सकता है।
- एल्कोहल का सेवन करने, हाई ब्लड प्रेशर या हृदय रोग के अलावा एंटी डिप्रेसेंट्स का नियमित इस्तेमाल करने से भी हीट स्ट्रोक हो सकता है।
लक्षण
- सिरदर्द होना
- चक्कर आना
- त्वचा व नाक का शुष्क हो जाना
- अधिक पसीना आना
- मांसपेशियों में ऐंठन व कमजोरी
- उल्टी आना
- ब्लड प्रेशर बढ़ना
- बेहोशी आना
- व्यवहार में बदलाव आना या चिड़चिड़ापन।