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पीएनबी घोटाले से विदेशी बैंक इंटेसा सानपोलो एसपीए प्रभावित

नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)| पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को करोड़ों रुपये की चपत लगाने वाले नीरव मोदी व मेहुल चोकसी के फर्जीवाड़े से सिर्फ एक विदेशी बैंक इंटेसा सानपोलो एसपीए के प्रभावित होने की बात सामने आई है। हांगकांग स्थित इस बैंक की शाखा को पीएनबी की ओर से जारी विदेशी साख पत्र (एफएलसी) के बदले धन मुहैया करने को कहा गया था। इटली के इस बैंक की हांगकांग शाखा से मेहुल सी. चोकसी की कंपनी गीतांजलि समूह ने पीएनबी के एफएलसी पर 22,00,011 डॉलर यानी 14.08 करोड़ रुपये लिए थे, जिसका भुगतान 19 मार्च को किया जाना है। नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जनवरी में ही देश से भाग चुके हैं।

हालांकि गीतांजलि समूह ने इसके अलावा कुल 75.459 करोड़ डॉलर यानी 4,886.72 करोड़ रुपये की राशि भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं से पीएनबी द्वारा जारी एफएलसी या लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के आधार पर निकाली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा 15 फरवरी को गीतांजलि समूह के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) में इन विवरणों का जिक्र किया गया है। इंटेसा सानपोलो से निकाली गई राशि का जिक्र शाखा के सिर्फ स्विफ्ट कोड में है, जिसमें नाम का उल्लेख नहीं है। वायर के जरिए धन अंतरण के लिए बैंक की पहचान प्रणाली को स्विफ्ट कहा जाता है।

बाकी पीएनबी फर्जीवाड़े में 11,300 करोड़ रुपये की राशि नीरव मोदी की कंपनियों द्वारा प्राप्त की गई है, जिसके संबंध में एफआईआर अभी दर्ज नहीं की गई है। हालांकि सीबीआई ने 29 जनवरी को 280.7 करोड़ रुपये की राशि के लिए पहली एफआईआर दर्ज की थी।

सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि 6,400 करोड़ रुपये की राशि भी डायमंड आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टेलर डायमंड, जिसमें नीरव मोदी, निशल मोदी (नीरव के भाई), मेहुल चोकसी (नीरव के मामा) और एमी नीरव मोदी (नीरव की पत्नी) साझेदार हैं, के खिलाफ दर्ज पहली एफआईआर में जोड़ी जाएगी।

दूसरी एफआईआर में गीतांजलि समूह की कंपनियों के 11 निदेशकों के भी नाम शामिल हैं।

पीएनबी धोखाधड़ी का मामला 16 जनवरी, 2018 को प्रकाश में आया, जब नीरव मोदी की कंपनियों के अधिकारियों ने बगैर जमानत के क्रेता साख के लिए बैंक से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि उनको यह सुविधा वर्षो से मिल रही है। बैंक ने बताया कि उनके जिस अधिकारी ने ऐसी अवैध सुविधा एलओयू और एफएलसी के जरिए मुहैया करवाने की अनुमति दी थी, वे सेवामुक्त हो गए थे। अधिकारियों ने जब जांच की तो सारा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ।

पीएनबी के मुताबिक, एक उपप्रबंधक और सिंगल विंडो ऑपरेटर (निचले दर्जे के कर्मी) करोड़ों डॉलर के एलओयू और एफएलसी जारी करने के लिए जिम्मेदार हैं। इसकी जानकारी बैंक के कोर बैंकिंग सॉल्यूशन सिस्टम को नहीं दी गई थी, जिसके जरिए सारे अंतरण (लेन-देन) की निगरानी की जाती है। नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की कंपनियों ने इन कागजातों का उपयोग कई बैंकों से क्रेता साख प्राप्त करने में की।

इसके अतिरिक्त, एलओयू एक साल की वैधता के साथ जारी किए गए थे, जबकि भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों के अनुसार निर्यातकों को सिर्फ 90 दिनों के लिए साख दी जाती है। आगे, एलओयू और एफएलसी को नियमित तौर पर कंपनियों ने नए समझौते में उपयोग किया, जो बैंकिंग मानकों के तहत अवैध कार्य है।

पीएनबी के प्रबंध निदेशक व कार्यकारी अधिकारी सुनील मेहता ने गुरुवार को दिल्ली में एक प्रेसवार्ता में कहा था कि उनके बैंक की ओर से जारी एलओयू और एफएलसी पर धन देने वालों में एक को छोड़कर बाकी सारे भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाएं हैं। उन्होंने विदेशी बैंक का नाम नहीं बताया था।

गीतांजलि समूह की तीन कंपनियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में दिए गए विवरणों के मुताबिक, गीतांजलि जेम्स लिमिटेड ने 33.50 करोड़ डॉलर यानी 2,144.37 करोड़ रुपये एलओयू के जरिए और 8.986 करोड़ डॉलर यानी 575.11 करोड़ रुपये एफएलसी के जरिए प्राप्त किए थे। वहीं, गिली इंडिया लिमिटेड ने 8.854 करोड़ डॉलर यानी 566.65 करोड़ रुपये एलओयू और 9.772 करोड़ डॉलर यानी 625.40 करोड़ रुपये एफएलसी के जरिए लिए थे। नक्षत्र ब्रांड लिमिटेड ने 5.017 करोड़ डॉलर यानी 321.10 करोड़ रुपये एलओयू और 9.357 करोड़ डॉलर यानी 598.85 करोड़ रुपये एफएलसी के जरिए प्राप्त किए थे।

गीतांजलि समूह की कंपनियों की ओर से एलओयू और एफएलसी प्राप्त करने पर जिन भारतीय बैंकों की शाखाओं ने धन पीएनबी के विदेशी मुद्रा खातों में क्रेडिट कर दिया, जिसकी निकासी कंपनियों ने क्रेता साख के तहत की, उनमें भारतीय स्टेट बैंक की मॉरीशस और फ्रैंकफर्ट स्थित शाखाएं, बैंक ऑफ इंडिया की एंटवर्प स्थित शाखा, केनरा बैंक की बहरीन स्थित शाखा, एक्सिस बैंक की हांगकांग स्थित शाखा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की हांगकांग स्थित शाखा और यूको बैंक की हांगकांग स्थित शाखा शामिल हैं।

सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी शिवसेना के मुताबिक, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी हर चुनाव में भाजपा के लिए धन जुटाते रहे हैं, इसलिए इन दोनों की ऊपर तक पहुंच है।

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