जीएसटी ढाचे में करों को युक्तिसंगत बनाने के अवसर : जेटली
नई दिल्ली, 27 जनवरी (आईएएनएस)| केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की एक संरचना बन चुकी है और इसके तहत कर की दरों को आगे युक्तिसंगत बनाने और कर के आधार को बढ़ाने का मौका प्रदान किया गया है। जेटली ने पहली फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट से पूर्व करदाताओं को कुछ राहत देने के भी संकेत दिए। मसलन, कर के आधार में ‘विस्तार’ किया गया है। इस तथ्य से जाहिर है कि प्रत्यक्ष कर के ढांचे को युक्तिसंगत बनाने की कवायद की जा रही है।
अंतर्राष्ट्रीय सीमा शुल्क दिवस 2018 के अवसर पर एक समारोह में जेटली ने कहा, जीएसटी से देश के भीतर अप्रत्यक्ष करों का पूरा कर ढाचा बदल गया है।
उन्होंने कहा, भारत ने दुनिया के और देशों के मुकाबले बहुत ही कम समय में इसे अपना लिया है।
जेटली की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब कुछ दिनों पूर्व केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि जीएसटी के अमल में आने के बाद कर संग्रह में लगातार दो महीने की गिरावट रही, लेकिन अब कर संग्रह में जोरदार तेजी आई है। नवंबर में जीएसटी संग्रह 80,808 करोड़ रुपये हुआ था, जबकि दिसंबर में 86,703 करोड़ रुपये दर्ज किया गया।
जेटली ने जीएसटी दरों में और कटौती का संकेत देते हुए कहा कि जीएसटी ढांचे के स्थापित होने के बाद सरकार के पास इसका आधार बढ़ाने और इसके ढाचे के युक्तिसंगत बनाने के अवसर होंगे।
जीएसटी परिषद ने 18 जनवरी की बैठक में 54 सेवाओं और 29 वस्तुओं पर जीएसटी दर घटाने का निर्णय लिया था।
इससे पहले 10 नवंबर, 2018 की बैठक में परिषद ने उच्चतम जीएसटी दर 28 फीसदी की श्रेणी से 178 मदों को हटा दिया था। साथ ही, सितारे की उपाधि वाले होटलों के बाहर सभी रेस्तराओं पर कर की दर घटाकर पांच फीसदी कर दी गई थी।
वित्तमंत्री ने कहा कि आयकर का आधार बड़ा हो गया है, क्योंकि इसमें विस्तार करना ही है। उन्होंने कहा कि कुछ चुनिदा समूहों से उच्च दर से कर वसूल करने की जो परंपरा रही है, उसमें बदलवा किया गया है।
गौरतलब है कि इस वित्त वर्ष में 15 जनवरी तक पिछले साल के मुकाबले प्रत्यक्ष कर की वसूली में 18.7 फीसदी का इजाफा हुआ है।
उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ की संकल्पना और देश में भारी परिमाण में उपलब्ध वस्तुओं की उपलब्धता को देखते हुए सीमा शुल्क की दरों को भी युक्तिसंगत बनाया गया है।
जेटली ने बताया कि सीमा शुल्क विभाग को दोहरी भूमिका निभाने की जिम्मेदारी दी गई है। पहली भूमिका यह होगी कि विभाग कर चोरी की जांच करेगा और दूसरी भूमिका के रूप में विभाग पर व्यापार को सुगम बनाने की जिम्मेदारी निभानी होगी।