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मैंने हॉरर संग रोमांच के बारे में हमेशा सोचा है : विक्रम भट्ट

मुंबई, 13 जनवरी (आईएएनएस)| फिल्मकार विक्रम भट्ट डर व रोमांच से भरपूर अपनी एक और फिल्म ‘1921’ की रिलीज के लिए तैयार हैं। उनका कहना है कि डर के साथ उनका जुनून इस बात के साथ सामने आता है कि भावनाओं में डर कितना झलक रहा है।

विक्रम से जब पूछा गया कि वह एक ऐसी विधा के साथ वापसी कर रहे हैं, जिसमें वह सबसे सहज महसूस करते हैं तो उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि ‘सहज’ शब्द सही अभिव्यक्ति है। मैंने हमेशा से डर के साथ रूमानियत को लाने के बारे में सोचा है। मेरी सभी हॉरर फिल्में प्रेम कहानी रही हैं।

उन्होंने कहा, आमतौर पर हॉरर फिल्मों में खलनायक होते हैं। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि मानवीय भावनाओं में डर एक बुनियादी चीज है। डर की तरह ऐसी कोई और भावना नहीं है, जिसे बिल्कुल स्पष्ट रूप से हम महसूस कर सके। कहा जाता है कि कई अन्य भावनाओं की मूल भावना डर में निहित है। भूख का डर लालच है, अंधेरे का डर रोशनी है, खोने का डर असुरक्षा है। अगर डर से अच्छे से निपट लिया जाए तो फिर हमें कुछ भी आकर्षित नहीं करता है। एक हॉरर फिल्म एक साहस की तरह है, जहां आप कहानी कहने के लिए मौजूद रहते हैं।

यह पूछे जाने पर कि उन्होंने इस बार इस विधा की फिल्म को एक बार फिर किस तरह से बनाया है, तो उन्होंने कहा कि वास्तव में एक विधा को फिर से नहीं गढ़ा जा सकता। एक विधा, विधा होती है। कोई ऐसी कहानी दर्शा सकता है जो विधा के अंतर्गत पहले कभी नहीं सुनी गई है और मैंने भी ऐसा ही किया है। मैंने अपनी पिछली फिल्मों में दर्शकों की पसंद को अच्छे से समझा है और उस शैली में सुधार किया है, जहां उन्हें लगा है कि मैंने सही काम नहीं किया। ‘1921’ एक आम डरावनी कहानी वाली फिल्म नहीं है, इसमें दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी और शानदार संगीत है।

विक्रम डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बेहद सक्रिय हैं। वह कई वेब सीरिज बना चुके हैं। इस बारे में उन्होंने कहा, पिछले साल से मैं डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ज्यादा सक्रिय रहा हूं और 27 जनवरी, जिस दिन मेरा जन्मदिन भी है, मेरा एप वीबी आ रहा है, जो फोन पर एक तरह से थिएटर की तरह है। आपको शो देखने के लिए बस टिकट खरीदनी पड़ेगी।

यह पूछे जाने पर कि वह इन दिनों हिंदी में बन रही फिल्मों के बारे में क्या सोचते हैं, क्या दर्शक बेहतरीन कहानियों के प्रति ज्यादा संजीदा हुए हैं या स्थिति जस की तस है, तो विक्रम ने कहा, हम शुरू से ऐसे व्यवसाय में रहे हैं, जहां एक ही विषय-वस्तु पर कई फिल्में बनती रही हैं। अगर कॉमेडी चलन में है तो फिर कई कॉमेडी फिल्में बनने लगती हैं। आजकल बायोपिक फिल्म का चलन है, तो हर कोई इस पर फिल्म बना रहा है। हम ढेर सारे लोगों से सीखने जा रहे हैं। दर्शक बेहतरीन कहानियों व विचारों के प्रति हमेशा से संजीदा रहे हैं।

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