इसरो ने रचा इतिहास, काटरेसैट-2 सहित 31 उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित
श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 12 जनवरी (आईएएनएस)| भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को अपने अंतरिक्ष केंद्र से दूर संवेदी काटरेसैट और 30 अन्य उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया।
इसरो के निवर्तमान चेयरमैन ए.एस. किरण कुमार ने चेन्नई से लगभग 80 किलोमीटर दूर पूर्वोत्तर में मिशन नियंत्रण केंद्र में बताया, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी40) ने भारत के 710 किलोग्राम वजनी काटरेसैट और 10 किलोग्राम नैनो उपग्रह और 100 किलोग्राम वजनी माइक्रो उपग्रह सहित 28 विदेशी उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया।
श्रीहरिकोटा हाई आल्टीट्यूड रेंज (एसडीएससी-एसएचएआर) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण के लगभग 17 मिनट और 33 सेकंड के बाद 320 टन वजनी रॉकेट ने काटरेसैट-2 को सूर्य की तुल्यकालिक कक्षा में स्थापित किया।
काटरेसैट-2 ने सूर्य की 505 किलोमीटर कक्षा में प्रवेश किया और यह पांच वर्षो की अवधि तक यहां रहेगा।
100 किलोग्राम वजनी माइक्रो उपग्रह ने पृथ्वी से 359 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूर्य की तुल्यकालीक कक्षा में प्रवेश किया।
यह 2018 का पहला अंतरिक्ष मिशन है। इससे पहले 31 अगस्त, 2017 को पीएसएलवी-सी39 मिशन असफल हो गया था।
कुमार ने कहा, हमने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े प्रबंध किए थे कि पिछले मिशन (पीएसएलवी-39) की असफलता का कारण बनी हीट शील्ड संबंधी समस्या फिर सामने न आए।
इसरो ने कुल 31 उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं, जिनमें से काटरेसैट-2, नैनो उपग्रह और माइक्रो उपग्रह भारत के हैं।
कुमार ने कहा कि मिशन केंद्र से की जा रही निगरानी से पता चला है कि स्थापित किया गया काटरेसैट-2 संतोषजनक प्रदर्शन कर रहा है।
पृथ्वी अवलोकन उपग्रह काटरेसैट काटरेग्राफिक, शहरी और ग्रामीण उपयोग के लिए उच्च गुणवत्ता की तस्वीरें खींचेगा।
इसरो के नवनियुक्त प्रमुख के. सिवान ने कहा, प्रक्षेपण यान का प्रदर्शन प्रभावी रहा।
एसडीएससी-एसएचएआर के निदेशक पी. कुन्हीकृष्णन ने कहा, इस मिशन से सिद्ध होता है कि पीएसएलवी एक मजबूत और विश्वसनीय यान है।
विभिन्न कक्षाओं में स्थापित हुए 28 अंतर्राष्ट्रीय सहयात्री उपग्रहों में से 19 अमेरिका के, पांच दक्षिण कोरिया के और कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन और फिनलैंड के एक-एक उपग्रह हैं।
कुमार ने बताया कि आगामी महीनों में अंतरिक्ष केंद्र से कई सिलसिलेवार प्रक्षेपण किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि जियोसिंक्रोनस उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) मार्क द्वितीय के अगले मिशन के लिए तैयारी की जा रही है और इसे अगले महीने प्रक्षेपित करने की योजना है।