..जब ‘बाहुबली’ ने 500 करोड़ की कमाई कर लहराया परचम (सिंहावलोकन 2017)
मुंबई, 30 दिसम्बर (आईएएनएस)। इस साल भारत में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म ‘बाहुबली-2 : कन्क्लूजन’ न तो मूल रूप से हिंदी फिल्म थी और न ही इसमें कोई स्थापित कलाकार था। यह 2017 में बॉलीवुड के बदलते समीकरण को दिखाता है, जिसने दर्शकों को मुख्य रूप से अपनी शानदार कहानी की बदौलत आकर्षित किया।
इस साल सलमान खान की ‘ट्यूबलाइट’, शाहरुख खान की ‘हैरी मेट सेजल’ और रणबीर कपूर अभिनीत ‘जग्गा जासूस’ विफल रही। यहां तक कि सलमान खान और शाहरुख खान ने फिल्म के असफल होने पर वितरकों को क्षतिपूर्ति भी दिया।
बॉलीवुड फिल्मों की बॉक्स ऑफिस पर कमाई को रिकॉर्ड करने के लिए कोई केंद्रीकृत एजेंसी नहीं है, लेकिन बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, अब तक कोई भी बॉलीवुड फिल्म घरेलू बॉक्स ऑफिस पर 400 करोड़ रुपये की कमाई का आंकड़ा पार करने में कामयाब नहीं हो पाई है। वहीं, ए.एस. राजामौली की प्रभास, राणा दग्गुबाति और अनुष्का शेट्टी अभिनीत फिल्म ‘बाहुबली 2 : द कन्क्लूजन’ ने अप्रत्याशित रूप से 510.99 करोड़ रुपये की कमाई कर डाली।
‘फिल्म एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष सिद्धार्थ रॉय कपूर का कहना है कि बेहद सफल काल्पनिक ड्रामा फिल्म ‘बाहुबली : द बिगनिंग’ की सीक्वल ‘बाहुबली 2 : द कन्क्लूजन’ एक तेलुगू भाषा की हिंदी में डब फिल्म के रूप में अब तक की सबसे कामयाब फिल्म बनकर बदलाव की बयार लाने वाली साबित हुई।
उन्होंने कहा कि इस फिल्म की सफलता बहुत कुछ कहती है। यह कहती है कि हम कोई बहाना नहीं बना सकते। इस फिल्म के कलाकार हिंदी फिल्म बाजार में ज्यादा मशहूर नहीं थे, इसके बावजूद फिल्म ने जबरदस्त सफलता हासिल की।
सिद्धार्थ ने आईएएनएस को बताया, डब फिल्में इस तथ्य के कारण कि वे मूल भाषा में नहीं है बॉक्स ऑफिस पर हमेशा से कमजोर मानी जाती थीं, लेकिन ‘बाहुबली’ ने उन सभी मिथकों को तोड़ दिया।
सिद्धार्थ ने कहा कि अगर दर्शकों को सिनेमाई अनुभव मिलता है और जिस तरह से आप कहानी दर्शाना चाहते हैं, उस तरह से कहानी दर्शाने की क्षमता और आत्मविश्वास है तो फिर दर्शक आपकी फिल्म देखेंगे।
जहां तक बॉलीवुड की मूल फिल्मों की बात है, इस साल जब केंद्र सरकार ने 100 रुपये से कम मूल्य वाली टिकटों के लिए 18 फीसदी और 100 रुपये से ज्यादा मूल्य की टिकटों के लिए 28 फीसदी कर के साथ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पेश किया, नौ फिल्मों ने 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की।
इस साल बॉलीवुड की मूल फिल्मों के बीच ‘टाइगर जिंदा है’ ने सबसे ज्यादा कमाई की है। फिल्म ने 28 दिसम्बर तक 206.4 करोड़ रुपये की कमाई कर ली।
यहां तक कि रिलायंस एंटरटेनमेंट के सहयोग से बनी ‘गोलमाल अगेन’ ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 205.67 करोड़ रुपये की कमाई कर डाली।
अन्य फिल्मों जैसे ‘रईस’ (137.71 करोड़ रुपये), ‘काबिल’ (103.67 करोड़ रुपये), ‘जॉली एलएलबी 2’ (117 करोड़ रुपये), ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ (116.68 करोड़ रुपये), ‘ट्वायलेट : एक प्रेम कथा’ (134.22 करोड़ रुपये), ‘जुड़वा 2’ (138.61 करोड़ रुपये) ने भी अच्छी कमाई की।
सलमान खान अभिनीत फिल्म ‘ट्यूबलाइट’ भले ही सफल फिल्मों में नहीं शुमार की गई, लेकिन फिल्म ने 119.26 करोड़ रुपये की कमाई की।
पीवीआर पिक्चर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) कमल ज्ञानचंदानी के मुताबिक, ट्यूबलाइट’ इस बात का उदाहरण है कि लोकप्रिय फिल्मी सितारे अकेले अपने बूते दर्शकों को सिनेमाघर तक खींचने में सक्षम नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि सलमान की ‘टाइगर जिंदा है’ भले ही एक स्थापित फ्रेंचाइजी फिल्म है, लेकिन इसमें राष्ट्रवादी भावना है और उम्दा कहानी है, जिससे दर्शकों का एक बड़ा वर्ग जुड़ाव महसूस करता है। ‘ट्यूबलाइट’ सलमान की छवि के मुताबिक नहीं थी।
छोटी फिल्मों जैसे ‘न्यूटन’ और ‘तुम्हारी सुलु’ को भी दर्शकों ने पसंद किया।
‘नाम शबाना’, ‘हिंदी मीडियम’, ‘सचिन- ए बिलियन ड्रीम्स’, ‘मॉम’, ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’, ‘बरेली की बर्फी’, ‘शुभ मंगल सावधान’, ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ और ‘फुकरे रिटर्न्स’ जैसी फिल्मों को भी दर्शकों ने सराहा।
वहीं, ‘ओके जानू’, ‘रंगून’, ‘बेगम जान’, ‘नूर’, ‘सरकार 3’, ‘मेरी प्यारी बिंदू’, ‘राब्ता’, ‘ए जेंटलमैंन ‘, ‘सिमरन’, ‘भूमि’, ‘हसीना पार्कर’, ‘शेफ’ और ‘फिरंगी’ जैसी फिल्में दर्शकों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरीं।
संजय लीला भंसाली की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘पद्मावती’ विवादों में फसंने के चलते एक दिसंबर को रिलीज नहीं हो सकी।
बाजार समीक्षक गिरीश जौहर ने आईएएनएस को बताया, अगर ‘बाहुबली’ नहीं होती तो बॉलीवुड ने बहुत खराब प्रदर्शन किया होता। ‘पद्मावती’ दिसम्बर में रिलीज होने वाली थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और सबकी निगाहें ‘टाइगर जिंदा है’ पर टिक गईं।
उन्होंने कहा कि वार्षिक बॉक्स ऑफिस रिटर्न के मामले में हम अभी भी 10-12 फीसदी पीछे हैं।
जैसा कि सिद्धार्थ ने कहा इसका समाधान बेहतरीन कहानियों और बेहतरीन पटकथाओं में है।