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हेरिटेज फिल्मोत्सव के लिए प्रविष्टियां 17 जनवरी तक ली जाएंगी

नई दिल्ली, 21 दिसंबर (आईएएनएस)| कला और संस्कृति में दिलचस्पी रखने वाले पेशेवर व शौकिया फिल्म निमार्ताओं को एक अनूठे ऑनलाइन हेरिटेज फिल्मोत्सव में अपनी फिल्में शामिल करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। फिल्म की प्रविष्टियां भेजने की अंतिम तिथि 17 जनवरी, 2018 है। इस फिल्मोत्सव को भारतीय कला एवं संस्कृति के ऑनलाइन विश्वकोष सहपीडिया और यस बैंक के थिंक टैंक यस ग्लोबल इंस्टीट्यूट की इकाई यस कल्चर द्वारा आयोजित किया जा रहा है।

एक महीने तक चलने वाले इंडिया हेरिटेज वॉक फेस्टिवल (आईएचडब्ल्यूएफ) 2018 में फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी। इसमें भारतीय उपमहाद्वीप की मूर्त और अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के अनगिनत पहलुओं को दर्शाने वाली डॉक्यूमेंटरी फिल्मों को शामिल किया जाएगा।

जानी-मानी नृत्यांगना और सीबीएफसी की पूर्व प्रमुख लीला सैमसन समेत कला एवं संस्कृति से जुड़ी प्रमुख हस्तियों की जूरी द्वारा चुनी गई फिल्मों को सहपीडिया के यूट्यूब चैनल पर प्रदर्शित किया जाएगा। फरवरी के पूरे महीने में रोजाना एक नई फिल्म रिलीज की जाएगी।

यह फेस्टिवल 16 साल से अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों के लिए खुला है और इसमें 30 मिनट तक की अवधि वाली उन सभी मौलिक फिल्मों को शामिल करने के लिए आमंत्रित किया गया है, जो एचडी-डीवीडी या ब्लू-रे क्वालिटी की हों। इसमें 1 जनवरी, 2015 से पहले निर्मित फिल्मों को शामिल नहीं किया जाएगा।

प्रविष्टियां डीवीडी फॉर्मेट में डाक द्वारा ‘सहपीडिया कार्यालय, सी-1/3, पहली मंजिल, सफदरजंग डेवलपमेंट एरिया, नई दिल्ली-110016’ पते पर भेजनी होंगी।

सभी प्रविष्टियों पर दो चरणों के मूल्यांकन के बाद ही निर्णय किया जाएगा, पहला चरण सहपीडिया की टीम और इसके बाद चयन जूरी का निर्णय होगा।

इस कार्यक्रम में तकरीबन 60 सार्वजनिक आयोजन होंगे, जिनमें तकरीबन 20 शहरों में हेरिटेज वॉक (विशेषज्ञों की थीम, संरक्षण और निर्देशन पर आधारित), बैठकों (वार्ताओं), कार्यशालाओं, प्रदर्शनियों और परिचर्चाओं को शामिल किया गया है। ये सभी कार्यक्रम हमारे देश के सांस्कृतिक ताना-बाना को समृद्ध करने वाली वास्तुकला, खानपान, विरासत, शिल्प, प्रकृति एवं कला जैसे विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित होंगे।

यस बैंक के एमडी और सीईओ व यस ग्लोबल इंस्टीट्यूट के चेयरमैन राणा कपूर ने कहा, इंडिया हेरिटेज वॉक फेस्टिवल भारत की विरासत का एक भव्य कार्यक्रम है जो भारत के नागरिकों में न सिर्फ जागरूकता और संरक्षण का भाव भरता है, बल्कि देशभर में जवाबदेह पर्यटन को भी बढ़ावा देता है।

सहपीडिया के सचिव वैभव चौहान ने कहा, जो लोग इस फेस्टिवल में शारीरिक रूप से शामिल नहीं हो सकते, उन तक पहुंच बनाने के लिए हम ऑनलाइन फिल्म फेस्टिवल का आयोजन कर रहे हैं। इससे विभिन्न क्षेत्रों के लोग भी जुड़ पाएंगे और हमारी अपेक्षा के मुताबिक कार्यक्रम में विविधता भी आएगी।

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