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सर्द शाम में संगीत लहरियों के साथ सम्पन्न हुआ 13वां सामापा संगीत सम्मेलन

नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)| बाहर हवा की सरसराहट में सर्दी का अहसास और कमानी सभागार में कलाकारों के संगीत रस पर श्रोताओं की गर्मजोशी का नजारा सप्ताहांत के दौरान खासा नजर आया तीन दिवसीय 13वें सामापा संगीत समारोह में।

शुक्रवार की संध्या से सजी युवा व प्रतिष्ठित कलाकारों की इस महफिल में गायन-वादन से छिड़ा सुर-लय-लय अंतत: संतूर लीजेंड पंडित भजन सोपोरी और अनुभवी तबला वादक आनिंदो की जबरदस्त जुगलबंदी के साथ रविवार को सम्पन्न हुआ। दोनों ही वरिष्ठ कलाकारों के संगीत वादन ने जहां सामापा संगीत समारोह को चरम पर पहुंचाया वहीं इनकी प्रस्तुतियों के अतिरिक्त कला-संस्कृति क्षेत्र में अपने योगदान हेतु सामापा अवार्डस और विदूषी मंजू मेहता एवम् पंडित विनायक तोरवी की प्रस्तुति तीसरे दिन की प्रमुख झलकियां रहीं।

पिछले दोनों दिन की तरह कार्यक्रम की शुरूआत स्कूली छात्रों द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुई और एक बार फिर संगीत का शानदार समां श्रोताओं को कायल करता दिखा। दिन की पहली प्रस्तुति विदूषी मंजू मेहता की रही, जिन्होंने राग सरस्वती की विविधायें प्रस्तुत करते हुए अपने सशक्त कला-कौशल का परिचय दिया और उपस्थित दिल्लीवासियों को सितार संगीत लहरियों में खोने पर मजबूर कर दिया। उनके बाद माहौल में गायन रस घोलते हुए पंडित विनायक तोरवी ने राग बागेश्री में एक के बाद एक रचनायें और तिलक कामोद में भजन प्रस्तुत किया और महफिल में घुले संगीत रस की रंगत व मिठास को कहीं अधिक बढ़ा दिया।

सामापा संगीत सम्मेलन की अंतिम प्रस्तुति से पूर्व प्रतिष्ठत सामापा पुरूस्कार भी प्रदान किये गये, जिनमें अनुभवी तबला वादक पं. आनिंदो चटर्जी (कोलकाता) और गायक पंडित विनायक तोरवी (बेंगलुरु) को हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में उनके आजीवन योगदान के लिए सामापा वितस्ता पुरस्कार, अहमदाबाद से सांस्कृतिक संगठन सप्तक कोसामापा कलावर्धन सम्मान, जिसे प्रसिद्ध सितार वादिका एवम् सप्तक की फाउंडर सदस्य विदूषी मंजु मेहता ने प्राप्त किया, कशमीर के सामाजिक-सांस्कृतिक इतिहास में योगदान के लिए दुनिया के सबसे बड़े जीवित नृविज्ञानशास्त्री में से एक डॉ टी.एन. मदन को सामपा नुंद ऋषि सम्मान, डॉ0 देवदत्त शर्मा (जयपुर) को संगीत समीक्षक और लेखक के रूप में कला और संस्कृति के क्षेत्र में योगदान देने के लिए ह्यसामापा आचार्य अभिनव गुप्त सम्मान, दिया गया।

दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ कार्यक्रमों में से एक के रूप में शुमार इस संगीत समारोह को सूफी कश्मीर घराना के खलीफा व संतूर लीजेंड पंडित भजन सोपोरी ने लोकप्रिय तबला वादक आनिंदो की जबरदस्त जुगलबंदी ने विराम दिया, लेकिन विराम देने से पूर्व जो समां व संगीत लहरियां कमानी सभागार में गूंजी वह देखते सुनते ही बनती थी। सभागार में उपस्थित हर श्रोता संतूर-तबले की जादूई धुनों पर भाव-विभोर नजर आया। अनवरत जारी तालियों की गड़गड़ाहट और आकाश की ऊँचाईयों तक पहुंचा अहसास कलाकारों की हौंसला अफजाई कर रहा था।

समारोह के तीनों ही दिन चाहे युवा कलाकार अपना पदार्पण कर रहे हों या स्थापित कलाकारों का कौशल, एक सुखद व कर्णप्रिय संगीतरस का गुंजायेमान हुआ। जहां एक तरफ युवा भारतीय कला संस्कृति की अपेक्षा मॉडर्न संगीत को तवज्जो देते हैं ऐसे में श्रोतागण में युवाओं की उपस्थिति सकारात्मक थी। युवा कलाकारों की प्रस्तुति में ऊर्जा का प्रवाह व प्रतिभा का जौहर बखूबी देखने को मिला। वहीं वरिष्ठ व स्थापित कलाकारों के सशक्त कला-कौशल का जादू श्रोताओं पर पूर्णतया छाया था।

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