Uncategorized

इफ्फी के बहिष्कार का आह्वान ‘पागलपन’ : राहुल रवैल

पणजी, 21 नवंबर (आईएएनएस)| भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में भारतीय पैनोरमा खंड के कार्यकारी जूरी प्रमुख फिल्मकार राहुल रवैल का कहना है कि फिल्म महोत्सव का बहिष्कार करने का आह्वान पागलपन है। इफ्फी से दो फिल्मों को निकाले जाने के बाद काफी विवाद हुआ और सुजॉय घोष ने इस्तीफा दे दिया था। रवैल, घोष की अध्यक्षता वाली जूरी का हिस्सा थे, जिन्होंेने (घोष) सनल ससिधरन की मलयालम फिल्म ‘एस दुर्गा’ और रवि जाधव की मराठी फिल्म ‘न्यूड’ को अंतिम सूची से निकाले जाने पर इस्तीफा दे दिया।

रवैल ने आईएएनएस से कहा, मैं उम्मीद करता हूं कि महोत्सव अच्छे से चलेगा।

जूरी के फैसलों में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की दखलंदाजी को लेकर फिल्म जगत के कुछ लोगों द्वारा इफ्फी का बहिष्कार करने की मांग की गई है।

इस बारे में रवैल ने कहा, पागलपन है।

28 नवंबर तक चलने वाला यह महोत्सव दो फिल्मों को निकाले जाने और संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ के विवादों में होने के कारण अतिरिक्त संवीक्षा के दायरे में है।

दिलचस्प बात यह है कि सिनेमा के जश्न का दावा करने वाले मंच का हिस्सा बनने वाले अधिकांश लोग इस विवाद के बारे में बात करने से बच रहे हैं।

हालांकि, रवैल इस मामले में मुखर हैं।

उन्होंने कहा, ‘पद्मावती’ मामले में मैं मजबूती से फिल्मकार के साथ खड़ा हूं। उन्होंने सच्चाई और कड़ी मेहनत के साथ फिल्म बनाई है। वह संभवत: आज के सर्वश्रेष्ठ निर्देशकों में से हैं। वह इतिहास के साथ खिलवाड़ नहीं करने वाले।

उन्होंने कहा कि कई लोग कह रहे हैं कि कल्पना और इतिहास को एक साथ कैसे रखा जा सकता है, लेकिन फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ की बात करें तो इसमें अनारकली का किरदार पूरी तरह से काल्पनिक था। अनारकली इतिहास में कही मौजूद नहीं है। उस समय किसी ने विरोध नहीं किया।

रवैल ने कहा किसी शक्स ने यह कहा कि उस समय फिल्म का किसी ने विरोध नहीं किया, जो कि मूर्खतापूर्ण बात है, अगर आज यह फिल्म रिलीज हुई होती तो क्या इसका विरोध होता?

फिल्म ‘पद्मावती’ में इतिहास से छेड़छाड़ करने की बात कहकर राजपूत संगठन इसका विरोध कर रहे हैं।

रवैल ने कहा कि भंसाली कुछ चीजें अपने हाथों में नहीं ले सकते, जहां वह इतिहास बदल सकेंगे। मामले को सही तरीके से निपटाना चाहिए।

फिल्मकार ने ‘न्यूड’ और ‘एस दुर्गा’ को हटाए जाने पर मंत्रालय के बचाव में कहा कि ‘न्यूड’ पूरी तरह से एक अधूरी फिल्म थी, जबकि ‘एस दुर्गा’ हमारे पास ‘सेक्सी’ दुर्गा के नाम से आई थी, लेकिन इसे सेंसर कर ‘एस दुर्गा’ कर दिया गया। इसमें कुछ बदलाव किया गया, जिससे यह पूरी तरह से एक नई फिल्म बन गई।

उन्होंने कहा, आप ए फिल्म के लिए आवेदन कर रहे हैं और आप इसे बी नाम से पाते हैं, जो नियमन का हिस्सा नहीं है।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close