राष्ट्रीयस्वास्थ्य

डीजल का धुआं ज्यादा हानिकारक

नई दिल्ली, 15 नवंबर (आईएएनएस)| हजारों वाहन धुआं उत्सर्जन या वायु प्रदूषण का बड़ा स्रोत हैं। डीजल से चलने वाले वाहन वायु प्रदूषण को हवा में सीधे छोड़कर और नाइट्रोजन ऑक्साइड व सल्फर ऑक्साइड का उत्सर्जन कर वायु प्रदूषण में और ज्यादा इजाफा करते हैं, जिससे वातावरण में और अधिक हानिकारण कण तैरने लगते हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, डीजल वाहनों से निकला उत्सर्जन खतरनाक रूप से अधिक होता है और इसका एक प्रमुख कारण है नाइट्रोजन ऑक्साइड व हवा में अधजले कणों का फैल जाना। लगभग 80-95 प्रतिशत डीजल के धुएं में जो बारीक कण मिले होते हैं, वे आकार में 0.1 माइक्रोन से भी छोटे होते हैं और वे फेफड़ों में गहरे तक समा सकते हैं।

उन्होंने बताया कि ये कण सांस में अंदर जाकर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं और फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकते हैं। इनके कारण भविष्य में और अधिक बच्चों में दमा हो सकता है।

डीजल का धुंआ गैसों और कई तरह के सूक्ष्म कणों से भरा होता है। डीजल वाहनों से नाइट्रोजन उत्सर्जन होता है, जिसे जमीनी स्तर का ओजोन माना जा सकता है। यह स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है। ओजोन प्रदूषण में अस्थमा जैसी श्वसन समस्या का खतरा बढ़ जाता है। डीजल नाइट्रोजन ऑक्साइड का एक प्रमुख स्रोत है। हवा में औद्योगिक विषाक्त पदार्थों को पार्किं सन रोग से जोड़कर देखा जाता है और इससे दिमागी सक्रियता में गिरावट आती है।

सेंटर फॉर ऑक्यूपेशनल एंड एन्वायरनमेंटल हेल्थ के निदेशक, डॉ. टी. के. जोशी ने कहा, डीजल के धुएं को अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) और विश्व स्वास्थ्य संगठन से संबद्ध इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा नंबर एक कार्सिनोजन की श्रेणी में रखा गया है। डीजल के धुएं के संपर्क में आने पर फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

उन्होंने कहा, एक्सपोजर की सीमा के साथ जोखिम बढ़ता है। इसलिए भविष्य में फेफड़े के कैंसर के अधिक मामलों के लिए तैयार रहना होगा। डीजल के धुएं और मूत्राशय के कैंसर के बीच भी गहरा संबंध देखा गया है।

डॉ. जोशी ने कहा, बच्चों, बुजुर्गो, गर्भवती महिलाओं, धूम्रपान करने वालों और हृदय व श्वसन संबंधी समस्याओं से परेशान लोगों के लिए आम तौर पर वायु प्रदूषण बहुत अधिक घातक हो सकता है, इसलिए उन्हें अधिक सतर्क होना चाहिए।

उन्होंने बताया कि अमेरिका स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एन्वायरनमेंटल हेल्थ साइंसेज द्वारा किए गए एक नए शोध से यह पता चला है कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने पर भ्रूण को तो बहुत ही अधिक नुकसान होने का खतरा रहता है। यह एक रहस्योद्घाटन के रूप में आया है और बहुत ही परेशान करने वाला डवलपमेंट है।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close