बाल दिवस : टीवी कलाकारों ने बचपन की यादें ताजा कीं
मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)| बाल दिवस (14 नवंबर) के मौके पर सौम्या टंडन, नेहा सक्सेना और सिमरन कौर जैसी टीवी कलाकारों ने अपने बचपन की यादों को ताजा किया है। टीवी हस्तियों ने बचपन की उन यादों को कुछ इस तरह से साझा किया :
सौम्या टंडन : मैं बेहद संवेदनशील बच्ची थी, जो हर चीज पर सवाल पूछा करती थी और हर चीज को बारीकी से देखा करती थी। बचपन के दिनों में शायद ही मैंने गुड़ियों से कभी खेला हो। जब मैं छह साल की थी तो हमारा नौकर हमारे बाहर वाले घर में पत्नी, बच्चे और एक बकरी के साथ रहा करता था। मुझे उनसे बेहद लगाव था क्योंकि उनकी मौजूदगी में ही मेरा जन्म हुआ था। मेरे पड़ोस में एक परिवार भी रहा करता था। उस घर का बड़ा लड़का पायलट था और वह मुझे बहुत पसंद करता था।
नेहा सक्सेना : बचपन की मेरी दो यादें हैं। मेरी बड़ी बहनें मुझे बहुत लाड़-प्यार करती थीं। हमने एक ही स्कूल में पढ़ाई की, इसलिए लंच के दौरान मैं उनसे मिलती थी और वे मुझे आइसक्रीम और चॉकलेट दिलाती थीं। एक और याद मेरी मां से जुड़ी हुई है। वह एक सिंगल पेरेंट हैं और उन्होंने हम सब को पाल-पोसकर बड़ा किया। बचपन में मैंने अपनी आंटी से मिलने के लिए गोवा जाने की मांग की थी और मैं चाहती थी कि मेरी मां बस मेरे लिए मेरी उस मांग को पूरा करें।
नितिन गोस्वामी : स्कूल में मैं बहुत मसखरी करता था। मैं खेलों में भी बहुत सक्रिय था। मैं क्रिकेट, फुटबॉल खेला करता था और मैच जीतता था। मेरे शिक्षक और परिवार मुझे खेलने के लिए प्रोत्साहित करते थे। वे यादें अभी भी ताजा हैं और मैं उन्हें मिस करता हूं।
प्रियंका पुरोहित : मुझे मसखरी करने और लोगों को परेशान करना, छेड़ना बहुत पसंद था। लेकिन, मेरी बड़ी बहनें थीं, जो यह सुनिश्चित करती थीं कि मैं अनुशासित लड़की रहूं। वे न सिर्फ मुझ पर नजर बनाए रखती थीं, बल्कि कभी-कभी मुझे डांट भी देती थीं। अब मुझे अहसास होता है कि इसने मुझे ज्यादा अनुशासित बनने में मदद की। मैं अभी भी अपनी बड़ी बहनों से डरती हूं।
सिमरन कौर : जब मैं 12 साल की थी तो मैं कार्टून सीरीज ‘डोरेमॉन’ में नोबिता की आवाज के रूप में ऑडिशन में चुन ली गई। यह मेरे जीवन का अहम पड़ाव था और अगले दिन जब मैं स्कूल गई तो मुझे स्कूल प्रिंसिपल से ऑल-राउंडर अवार्ड और एक एकेडमिक अचीवमेंट अवार्ड मिला। यह मेरे लिए हैरान कर देने वाला था। यह वास्तव में मेरे बचपन का सुनहरा दौर था। मैं आज भी इसे याद करती हूं।
युक्ति कपूर : बचपन में मैं गर्मियों की छुट्टियों का इंतजार किया करती थी क्योंकि मेरे कजिन मेरे घर आया करते थे। मुझे खेलना बहुत पसंद था, इसलिए हर रोज शाम चार बजे मैं घर से निकल जाती थी और आठ बजे तक खेला करती थी।
फरनाज शेट्टी : मेरी पंसदीदा यादों में से एक मेरा पहला कुत्ता है, जिसे मैं रोड से उठा लाई थी। मैं उसके साथ खेला करती थी, उसे खिलाती थी और उसकी देखभाल करती थी। एक बच्ची के रूप में मुझे कई पशुओं को बचाना याद है।