भारतीय डॉक्टरों का कमाल, ऑपेरशन से लड़की को लड़के के दोनों हाथ लगा दी नई जिंदगी
भारत में विज्ञान आज जिस तरह से आगे बढ़ रहा है कि उसे देखकर तो लगता है कि वो दिन दूर नहीं, जब भारत वैश्विक स्तर पर भी मेडिकल साइंस की फील्ड में अन्य देशों को आज के मुकाबले आगे और कड़ी टक्कर देगा।
भारत में मेडिकल साइंस ने एक ऐसा काम कर दिखाया है, जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। पुणे के अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ने एशिया के पहले दोहरे अंग प्रत्यारोपण में सफलता हासिल
की है।
दरअसल, यहाँ के डॉक्टर्स ने केरल की रहने वाली श्रेया को नई जिंदगी दे दी। अब आप सोच रहे होंगें ये कैसे? तो बता दें कि श्रेया ने एक गंभीर बस दुर्घटना में अपने दोनों हाथ खो दिए थे, जिसके बाद वो जिंदगी से निराश सी रहने लगी थी लेकिन अमृता इंस्टिट्यूट के डॉक्टर्स ने एक लड़के के दो हाथों को काटकर श्रेया में जोड़कर उसे नई जिंदगी दे दी।
बता दें कि जिस लड़के का हाथ श्रेया को डोनेट किया गया है उसकी मृत्यु के बाद पेरेंट्स ने ही अपने बेटे के अंगों को डोनेट करने का फैसला किया था। फिलहाल, श्रेया को केमिकल इंजीनियरिंग स्टूडेंट अस्पताल से छुट्टी मिल गई है और अब वह घर की देख-रेख में है।
केरल की श्रेया कहती है, मेरी पूरी दुनिया ही खत्म हो गई थी, मुझे कुछ पता ही नहीं चला कि मेरे साथ क्या हुआ। जब मेरी मां ने मुझे बताया कि भारत में मेरे हाथों का प्रत्यारोपण किया गया है। इससे मुझे थोड़ी शक्ति मिली और मुझमें जीने की उम्मीद जगी।
मैंने महसूस किया कि एक दिन मैं पहले की तरह सामान्य जिंदगी जिउंगी और अपनी पढ़ाई जारी रख अपने सपने पूरे कर पाउंगी। बता दें कि, सितंबर 2016 में मंगलौर में अपने कॉलेज के पास श्रेया ने एक बस दुर्घटना में अपने दोनों हाथ खो दिये थे।
दुर्घटना के बाद जब श्रेया को अपने में कुछ खाली सा लगा तो उसे महसूस हुआ कि उसके तो हाथ ही नहीं है दुर्घटना से सहमी श्रेया ने चार महीने तक प्रोस्थेटिक हाथों का इस्तेमाल किया लेकिन इससे वह संतुष्ट नहीं थी।