कुसुम अंसल के नए उपन्यास पर चर्चा
नई दिल्ली, 28 सितंबर (आईएएनएस)| साहित्य अकादेमी के सभागार में प्रसिद्ध लेखिका डॉ. कुसुम अंसल के उपन्यास पर विस्तार से चर्चा की गई। ‘संवाद’ नामक संगोष्ठी में कुसुम के उपन्यास ‘परछाइयों का समयसार’ को नारी के अंतर्मन की यात्रा कहा गया और यह भी कि लेखिका ने अपनी नई कृति में समाज के सभी जरूरी मुद्दों का जिक्र किया है। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए मशहूर लेखक नरेंद्र मोहन ने कुसुम अंसल के उपन्यास को अपने द्वारा पढ़े गए बेहतरीन उपन्यासों में से एक बताया। साथ ही उन्होंने कहा, उपन्यास में कहानियों का संयोजन काफी जबरदस्त है, जिन्हें कुसुम अंसल ने पात्रों के इर्दगिर्द बड़ी खूबसूरती से बुना है। उन्होंने आगे कहा कि उपन्यास में नारी के अंतर्मन की यात्रा को बखूबी दर्शाया गया है।
बुधवार की शाम आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में प्रताप सहगल और मुख्य वक्ता के रूप में रेखा सेठी व शैलेंद्र शैल ने भी बेबाकी से अपनी बात रखी। गोष्ठी में मौजूद सभी लोगों ने कुसुम अंसल की नई कृति की काफी प्रशंसा की।
लेखिका ने अपने नए उपन्यास में एक ऐसी महिला का का जिक्र किया है, जो जिंदगी में आने वाली तमाम परेशानियों का डटकर मुकाबला करती है, हिम्मत नहीं हारती।
कुसुम अंसल ने कहा, उपन्यास हमेशा से समाज का दर्पण रहे हैं, जो समाज के अनछुए पहलुओं से अवगत कराते हैं। इस उपन्यास में भी मैंने एक महिला के आत्ममंथन को उजागर किया है, जिसे पढ़कर पाठक अंदर तक उद्वेलित होंगे।
कुसुम अंसल को इससे पहले भी अपने दो उपन्यास ‘तापसी’ और ‘खामोशी की गूंज’ के लिए साहित्यकारों की काफी सराहना मिल चुकी है। अपनी अंग्रजी कृति ‘विडो ऑफ वृंदावन’ में उन्होंने वृंदावन की विधाओं के जीवन पर प्रकाश डाला था, जिसके लिए उन्हें काफी सराहना मिली थी।
लेखिका की अब तक करीब 25 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें लघुकथाएं, कहानियां, यात्रा वृत्तांत और आत्मकथा सम्मलित हैं। उनकी किताबों का पंजाबी, अंग्रेजी, उर्दू, बांग्ला, ग्रीक, रूसी और फ्रेंच भाषा में भी अनुवाद हो चुका है।