Uncategorized

आलोचना को सकारात्मक लेते हुए विकसित हुआ हूं : रहमान

मुंबई, 9 सितम्बर (आईएएनएस)| आलोचना का सामना करना किसी भी कलाकार के सफर का एक हिस्सा है और यह ग्रैमी और ऑस्कर जीतने वाले भारतीय संगीतकार ए.आर. रहमान के जीवन में भी अपवाद नहीं है। रहमान, जिन्हें ‘मद्रास का मोजार्ट’ कहा जाता है, ने कहा है कि रचनात्मक आलोचना को स्वीकार कर आगे बढ़ना उनकी संगीत यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है, जिसने उन्हें वर्षों के दौरान सुधरने और बने रहने में मदद की है।

अपनी सफलता की कहानी के बारे में रहमान ने आईएएनएस से एक साक्षात्कार में यहां कहा, मैंने आलोचना को सकरात्मक तरीके से लिया, क्योंकि दिन के आखिर तक, यह एक रचनात्मक प्रक्रिया है, जहां आप हमेशा अपनी अगली रचना और अगले शो को और बेहतर कर सकते हैं।

1992 में ‘रोजा’ के साथ फिल्म जगत में अपना सफर शुरू करने के बाद, उन्होंने अपनी रचनाओं में विभिन्न संगीत तत्वों को जोड़ कर अपनी शैली विकसित की, जिसमें पृथ्वी की प्रकृति की बहुत ही शास्त्रीय और समकालीन आवाजें शामिल हैं। उनके संगीत ने बॉलीवुड संगीत की आवाज को बदल कर रख दिया, और उसके बाद परंपरावादी हिंदी गाने में उनके पश्चिमी संगीत के उपयोग के तरीके पर चर्चा किया करते थे।

वास्तव में, 2010 में, ग्रैमी पुरस्कारों के लिए दो भारतीय संगीतकारों को नामित किया गया था। रहमान को स्लमडॉग मिलियनेयर के लिए और दिग्गज सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान को सर्वश्रेष्ठ पारंपरिक विश्व संगीत अलबम श्रेणी में ‘एनसिएंट साउंड’ के लिए।

रहमान ने इन वर्षो के दौरान अन्य पुरस्कारों के अलावा ग्रैमी, ऑस्कर, बाफ्टा और गोल्डन ग्लोब पुरस्कार हासिल किए, और अपने संगीत से संगीत प्रेमियों की पीढ़ियों को लगातार सम्मोहित कर रहे हैं।

रहमान ने अपनी फिल्म ‘वन हार्ट-एआर रहमान कॉन्सर्ट फिल्म’ की विशेष स्क्रीनिंग के बाद आईएएनएस से कहा, अपनी जिंदगी में मैंने हमेशा आलोचना का स्वागत किया है, वैसी आलोचना जो बगैर किसी द्वेष के है, और उचित रही है। मैंने उन्हें हमेशा सकारात्मक रूप से लिया और इसलिए, मैं विकसित हुआ हूं। वास्तव में, मैं अपने सभी आलोचकों को उन टिप्पणियों के लिए शुक्रिया अदा करना चाहूंगा।

इस फिल्म के खयाल के बारे में उन्होंने कहा, पश्चिम में कॉन्सर्ट फिल्मों की एक बहुत ही व्यावहारिक संस्कृति है। उन्हें संगीत कंपनियां निर्मित करती हैं। जैसा कि आप देख सकते हैं कि उन्होंने ‘दिस इस इट’ और ‘एमी’ जैसी फिल्मों का निर्माण किया। लेकिन यहां भारत में, हमारे पास मनोरंजन का ऐसा स्वरूप नहीं है। शायद इसलिए, क्योंकि इसका कोई संभावित बाजार नहीं है।

फिल्म की कहानी उत्तर अमेरिका के 14 शहरों में उनके संगीत कार्यक्रम के दौरे के आसपास घूमती है। दिलचस्प बात यह है कि यह न केवल रहमान के परदे के पीछे के कुछ पलों को साझा करती है, बल्कि इस बात को भी पेश करती है कि प्रकृति ने उन्हें किस तरह संगीत के अनुसंधान, प्रेरणा और रचना के लिए प्रेरित किया।

हालांकि, इतने सालों तक लाइव कॉन्सर्ट के बाद भी, रहमान को अभी भी विशाल भीड़, जो उन्हें दुनिया भर में लाइव देखने के लिए इंतजार कर रहे हैं, का सामना करने से पहले डर लगता है।

उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह उन चीजों में से एक है, जो आज भी नहीं बदली है। मेरे पहले स्टेज शो में, भय और चिंता का एक क्षण था। अंदर जाने से पहले, मैं बहुत सी चीजों के बारे में सोचता हूं, कि मेरे हेडफोन ठीक से काम कर रहे हैं, उनमें कोई गूंज तो नहीं आ रही है, माइक्रोफोन को क्रम में काम करना चाहिए, लोगों को मेरे संगीत पंसद आने चाहिए, उनका समय अच्छे तरीके से और सकारात्मक वाइब्स के साथ बीते ..जैसी हजार चीजें।

हालांकि जब मैं कार्यक्रम शुरू करता हूं, संगीत बहता है, आप जानते हैं, कुछ भी गलत नहीं होता, क्योंकि संगीत सही जा रहा होता है।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close