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जीएसटी से राज्यों की वित्तीय हालत सुधरेगी : रेटिंग एजेंसी

नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन से राज्य सरकारों की आर्थिक हालत पर मध्मम से लंबी अवधि में सकारात्मक असर होगा। घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (आईएनडी-आरए) ने सोमवार को यह जानकारी दी। रेटिंग एजेंसी ने एक रिपोर्ट में कहा कि अल्प अवधि में भी राज्यों के वित्तीय धन पर कुल असर सकारात्मक होगा। हालांकि जोड़-घटाव से पता चलता है कि अलग-अलग राज्यों की स्थिति अलग-अलग होगी।

रिपोर्ट में कहा गया, वित्त वर्ष 2017-18 में सभी राज्यों के जीएसटी राजस्व में वित्त वर्ष 2015-16 की तुलना में कुल मिलाकर 16.6 फीसदी की वृद्धि होगी। हालांकि इसमें अलग-अलग राज्यों पर क्या असर होगा, यह अभी साफ नहीं है।

जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट लाभ लिया जा सकता है। इससे राज्यों के राजस्व में वित्त वर्ष 2017-18 में 15.5 फीसदी की गिरावट आएगी।

रिपोर्ट में कहा गया, मुआवजे की कुल रकम चालू वित्त वर्ष में 95 अरब रुपये तक हो सकती है। यह इस अनुमान पर आधारित है कि वस्तु और सेवाओं के अंतिम उत्पादन में सेवा कर की हिस्सेदारी 10 फीसदी है।

केंद्र सरकार पांच सालों के लिए 14 फीसदी की वृद्धि दर के साथ मुआवजा देने को राजी है। वित्त वर्ष 12 से 17 के दौरान राज्यों के राजस्व में औसतन 14 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि अलग-अलग राज्यों की दर में काफी अंतर है। जहां पंजाब का कर राजस्व महज 8.47 फीसदी बढ़ा है, वहीं, वित्त वर्ष 12 से 17 तेलंगाना के कर राजस्व में 39.70 की बढ़ोतरी हुई है।

जीएसटी में राज्यों द्वारा वसूले जाने वाले 9 तरह के करों को समाहित कर दिया गया है, जिनमें राज्य मूल्य वर्धित कर, केंद्रीय बिक्री कर, खरीद कर, लक्जरी कर, प्रवेश कर (सभी तरह का), मनोरंजन कर (स्थानीय निकायों द्वारा लगाए जानेवाले कर के अलावा), विज्ञापन कर, लॉटरी कर, जूआ पर राज्यों का सेस और सरचार्ज आदि है, जो वस्तुओं और सेवाओं पर लगाए जाते थे।

राज्यों को जीएसटी के सकारात्मक प्रभाव को पाने के लिए उन करों पर नजर डालनी होगी जो जीएसटी से बाहर हैं और जो उसके अपने कर राजस्व के दायरे से भी बाहर है।

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