बिहार में बाढ़ से 56 मौतें, करीब 70 लाख लोग चपेट में
पटना| बिहार के 13 जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। बाढ़ का पानी नए क्षेत्रों में प्रवेश कर रहा है। बाढ़ की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 56 हो गई है, जबकि राज्य के करीब 70 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इस बीच मंगलवार को भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ प्रभवित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के नियंत्रण कक्ष के मुताबिक, बिहार के 13 जिलों के 98 प्रखंड के 1070 ग्राम पंचायत में बाढ़ का पानी फैल गया है, जिससे 69़81 लाख की आबादी बाढ़ की चपेट में है। इस बीच बाढ़ से मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
बाढ़ की चपेट में आने से अब तक 56 लोगों की मौत हो गई है। सबसे ज्यादा 20 लोग अररिया में मरे, जबकि पश्चिम चंपारण में नौ, किशनगंज में आठ, सीतामढ़ी में पांच, मधेपुरा में चार, पूर्वी चंपारण, दरभंगा और मधुबनी में तीन-तीन तथा शिवहर में एक व्यक्ति की मौत हो गई।
आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने भी मंगलवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया। उन्होंने हवाई सर्वेक्षण के बाद बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य चलाए जा रहे हैं। क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सामुदायिक किचेन खोलने के निर्देश दिए गए हैं।
विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से करीब 1़61 लाख लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है तथा इन क्षेत्रों में 343 राहत शिविर खोले गए हैं, जिसमें करीब 85 हजार लोग शरण लिए हुए हैं। इनके लिए भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य में लगाए गए हैं।
पटना स्थित बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक, बिहार की प्रमुख नदियों के जलस्तर में अभी कोई विशेष कमी नहीं हुई है। मंगलवार को भी राज्य की कई नदियां खतरे के निशान से उपर बह रही हैं।
नियंत्रण कक्ष में प्रतिनियुक्त सहायक अभियंता अजय कुमार ने मंगलवार को आईएएनएस को बताया कि वीरपुर बैराज में कोसी नदी का जलस्तर 2़08 लाख क्यूसेक हो गया है, जबकि वाल्मीकिनगर बैराज में गंडक का जलस्तर 2़ 06 लाख क्यूसेक दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि कोसी में जलस्तर बढ़ने की आशंका है।
कुमार ने बताया कि मंगलवार को बागमती नदी डूबाधार, सोनाखान, चंदौली, ढेंग और बेनीबाद में जबकि कमला बलान नदी झंझारपुर और जानकीबियर क्षेत्र में खतरे के निशान को पार कर गई है। महानंदा नदी कटिहार के झाबा में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जबकि ललबकिया नदी गोआबारी में लाल निशान के उपर है।
राज्य के अररिया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, सीतामढ़ी, दरभंगा व मधुबनी में स्थिति गंभीर है।
बाढ़ के कारण बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के अधिकांश प्रखंड़ों का जिला मुख्यालयों से सड़क संपर्क कट गया है। सड़कों पर बाढ़ का पानी बह रहा है। इधर, कई क्षेत्रों में रेल पटरियों और स्टेशनों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाने के कारण कई ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन किया गया है, जबकि कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है।
विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि बाढ़ का पानी नए इलाकों में भी फैल रहा है, हलांकि कुछ क्षेत्रों से पानी निकला भी है। इस बीच आपदा प्रबंधन विभाग बाढ़ प्रभावित जिले के जिलाधिकारियों को ऊंचे स्थान का चयन कर सामुदायिक किचेन चलाने का निर्देश दिया है। ऐसे में लोग यहां खाना खाकर सुरक्षित स्थान पर ठहर सकेंगे।