बदलते समय में हमारी खरीदारी करने का तरीका भी बदल गया है। प्रौद्योगिकी ने इसे इतना आसान कर दिया कि सब्जी से लेकर एयरकंडीशनर तक हम घर बैठे कम्प्यूटर पर बस एक क्लिक कर खरीद सकते हैं। इससे न सिर्फ हमारा समय बच रहा है, बल्कि बेकार की परेशानियों से भी निजात मिल गई है।
एसोचैम के एक अनुमान के मुताबिक, 2017 के अंत तक ऑनलाइन उपभोक्ताओं का आंकड़ा 10 करोड़ पार कर जाने की उम्मीद है, जबकि साल 2016 में 6.9 करोड़ लोगों ने ऑनलाइन खरीदारी की। ऑनलाइन शॉपिंग में मिलने वाले बेहतरीन ऑफर्स और सुविधाओं को देखते हुए यह तथ्य बिल्कुल भी चौंकाने वाला नहीं है।
अब इसे क्रेज कहें या वक्त की जरूरत, कंपनियां भी अपने एक्सलूसिव उत्पादों को लॉन्च करने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही हैं। इससे उत्पाद का दाम कम रखने में उन्हें सहायता मिल रही है, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, जिसका लाभ अंतत: ग्राहकों को मिल रहा है।
कई उत्पादों को तो केवल ऑनलाइन ही खरीदा जा सकता है, क्योंकि कुछ कंपनियां अपने उत्पाद रिटेल शॉप में नहीं बेचतीं। तो लब्बोलुबाब यही है कि आपको चाहे अनचाहे ऑनलाइन शॉपिंग करनी ही पड़ेगी, बस कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है।
जाने माने अर्थशास्त्री सुब्रो कमल दत्ता ने कहा, जिस तरह बाजार में पॉकेटमारों का डर होता है, ऑनलाइन शॉपिंग में ही कुछ ऐसे ही खतरे होते हैं, लेकिन जाहिर तौर पर उनके तरीके अलग होते हैं।
उन्होंने कहा, ऑनलाइन शॉपिंग में आप तब तक महफूज हैं, जब तक आप अनजान लोगों को अपने कार्ड या खाते से संबंधित जानकारियां साझा नहीं करते। अभी हाल में आपने दुनिया भर में मैलवेयर हमले के बारे में सुना होगा, जिसमें करोड़ों कम्प्यूटरों की जानकारियां चुरा ली गईं।
लेकिन इस हमले के शिकार अधिकांशत: वही कम्प्यूटर हुए, जिनके ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेट नहीं थे। मैलवेयर द्वारा होने वाले अधिकांश साइबर हमले इंटरनेट पर स्वत: ही उपलब्ध होने वाले सॉफ्टवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम के माध्यम से होते हैं। प्राय: वे ही लोग हैकिंग का शिकार होते हैं, जो अपने कम्प्यूटर सिस्टम के एंटीवायरस और ऑपरेटिंग सिस्टम को समय-समय पर अपडेट नहीं करते हैं।
अर्थशास्त्री ने कहा, इसके अलावा, स्पैम मेल के माध्यम से भी आपकी निजी जानकारियों की चोरी होने की संभावना होती है। कहीं भी खरीदारी करने से पहले यह सुनिश्चित कर लीजिए कि आप किसी ऐसे लिंक्स पर क्लिक तो नहीं कर रहे हैं, जो आपको बिना किसी कारण के अवांछित ई-मेल भेजते हैं या लिंक्स पर जाने के बाद आपको चकित कर देने वाले आकर्षक ऑफर तो नहीं मिल रहें हैं।
अक्सर ये हमें भ्रमित कर हमारी जानकारियां चुराने का माध्यम बन जाते हैं। किसी भी लिंक पर जाने से पहले उसकी शर्तो को पढ़ लें और बिना मतलब के लिंक को विजिट न करें।