बंगाल की तीन ऐतिहासिक इमारतों का होगा जीर्णोद्धार
कोलकाता | पश्चिम बंगाल का धरोहर आयोग राज्य की तीन ऐतिहासिक इमारतों का जीर्णोद्धार करेगा। इन तीन धरोहरों में हाउस ऑफ अलेक्जेंडर डफ भी शामिल है। डफ भारत में चर्च ऑफ स्कॉटलैंड की पहली मिशनरी थी। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि महिषादल रंगीबाशान राजबाड़ी, उत्तर बंगाल के कालिमपोंग स्थित डॉ. ग्राहम होम्स चर्च और नीमतला घाट के रास्ते में हाउस ऑफ अलेक्जेंडर डफ के नवीनीकरण के लिए संस्कृति मंत्रालय ने 17 करोड़ रुपये दिए हैं।
राज्य धरोहर आयोग के सचिव उमापद चटर्जी ने कहा, “इमारतों से संबंधी परियोजना की जानकारी मंत्रालय को भेजी गई थी। हमारी राज्य के लोक निर्माण विभाग के साथ योजना को क्रियान्वयन के लिए बातचीत हुई थी। ये इमारतें बहुत बुरी अवस्था में हैं।”
अलेक्जेंडर डफ 1830 में कलकत्ता (आज के कोलकाता) आए थे और उन्होंने उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन्हें ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राम मोहन राय का समर्थन मिला था।
उन्होंने 1830 में स्कॉटिश चर्च कॉलेज की स्थापना की थी। तब यह कॉलेज जनरल असेम्बली इंस्टीट्यूशन के नाम से जाना जाता था। इसे पश्चिम शैली की शिक्षा के साथ ईसाई मिशन और लोगों की उन्नति के विचार वाले संस्थान के तौर पर जाना जाता था।
चर्च ऑफ स्कॉटलैंड के मिशनरी जॉन ऐंडरसन ग्राहम ने कलिम्पोंग में डॉ. ग्राहम हाउस की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य गरीबों और एंग्लो-इंडियन बच्चों को शरण देना था।
पूर्वी मिदनापुर की महत्वपूर्ण रियासत महिषादल रंगीबाशान राजबाड़ी की नींव 16वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के जनार्दन उपाध्याय ने डाली थी।
महिषादल राज रियासत में दो महल हैं। पुराना महल सन् 1840 के आसपास और नया सन् 1937 के आसपास बनाया गया था।