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छत्तीसगढ़ में राजिम महाकुंभ

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रायपुर | छत्तीसगढ़ के प्रयागराज कहलाने वाले राजिम में लाखों लोग आस्था की डुबकी लगाएंगे। महानदी, पैरी और सोंढूर नदी के संगम पर माघ पूर्णिमा 10 फरवरी से शुरू हो रहा महाकुंभ महाशिवरात्रि (24 फरवरी) तक चलेगा। संत सुधांशु महाराज शुक्रवार को शाम 7 बजे महाकुंभ का शुभारंभ करेंगे। मेला स्थल की निगरानी करने के लिए सौ सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। वहीं 18 फरवरी से शुरू हो रहे संत समागम में आने वाले साधु-संतों तथा अन्य साधु महात्माओं के लिए कुटीर बनाई गई है। नागा साधुओं के लिए लोमश ऋषि आश्रम को सुरक्षित रखा गया है। संत समागम स्थल के पास ही विभिन्न अखाड़ों के पंडाल लगेंगे।
शुभारंभ समारोह में मुख्य रूप से सुधांशु महाराज, साध्वी प्रज्ञा भारती, प्रेमानंद महाराज, रामबालक दास महाराज, ज्ञानस्वरूपानंद अक्रिय महाराज, रामसुंदरदास अध्यक्ष राजीव लोचन मंदिर ट्रस्ट, राजेश्वर महाराज अयोध्या, युधिष्ठिर लाल शदाणी दरबार, गोवर्धन शरण सहित विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री दयालदास बघेल, मंत्री अजय चंद्राकर सहित मंत्री, सांसद और विधायक शामिल होंगे।
राजिम महाकुंभ में 18 फरवरी से भव्य संत समागम शुरू होगा। इस साल संत समागम में देश के प्रसिद्ध संतों और प्रवचनकर्ताओं को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया है। राजिम का त्रिवेणी संगम तीन जिलों रायपुर, धमतरी और गरियाबंद का भी संगम है।
धर्मस्व मंत्री के निर्देशानुसार, महाकुंभ के लिए पिछले वर्षो की तुलना में सभी विभागों द्वारा डेढ़ गुना अधिक व्यवस्थाएं की गई हैं। महाकुंभ के लिए एक स्थायी कंट्रोल रूम स्थापना की गई है। पूरा मेला स्थल और संत समागम स्थल पर लगभग साढ़े तीन सौ टायलेट और बाथरूम बनाए गए हैं। वहीं राजिम आने-जाने के लिए धमतरी, आरंग, कुरूद, रायपुर, मगरलोड, गरियाबंद, महासमुंद से नियमित बस सेवाएं शुरू की गई है।
धर्मस्व मंत्री के निर्देशानुसार, इन मार्गों में महाकुंभ के दौरान देर रात तक बसों की सुविधा उपलब्ध रहेगी। राज्य सरकार ने महाकुंभ में चिकित्सा सुविधा के पर्याप्त प्रबंध किए गए हैं। महाशिवरात्रि पर्व पर नागा साधुओं सहित अन्य साधु संतों के शाही स्नान के लिए संगम पर शाही कुंड बनकर तैयार है। माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक संगम पर साफ पानी का बहाव शुरू हो गया है।
मंत्री अग्रवाल के निर्देश पर इस साल नवापारा की ओर नेहरू घाट में पानी का बहाव जारी रखने के लिए महानदी में भी पानी छोड़ा गया है। संत समागम में बड़े संतों और प्रवचनकर्ताओं के लिए विशाल पंडाल बनाए गए हैं।

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