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धर्म-जाति के चुनावी इस्तेमाल के खिलाफ फैसले को धार्मिक समूहों ने सराहा

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नई दिल्ली | राजनीतिक पार्टियों द्वारा धर्म, जाति, समुदाय, नस्ल या भाषा के नाम पर वोट मांगने पर सर्वोच्च न्यायालय के रोक लगाने के फैसले का देश भर के तमाम धार्मिक संगठनों ने स्वागत किया है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने कहा है कि जाति, समुदाय तथा धर्म के आधार पर राजनीति से देश का नुकसान हुआ है। वीएचपी के अंतर्राष्ट्रीय महासचिव सुरेंद्र जैन ने  कहा, “हम सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के स्वागत करते हैं।” उन्होंने कहा कि जाति, भाषा, क्षेत्र या धर्म के आधार पर की गई राजनीति ने देश का बेहद नुकसान किया है और इससे राष्ट्रीय अखंडता को भी नुकसान पहुंचा है।
वीएचपी नेता ने कहा, “इस फैसले से वोट बैंक की राजनीति पर आघात हुआ है। यह फैसला राष्ट्र निर्माण में मील का पत्थर साबित होगा।”
मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेएचआई) ने कहा कि धर्म इत्यादि के नाम पर वोट मांगने पर रोक को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। जेआईएच के महासचिव मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने आईएएनएस से कहा, “सर्वोच्च न्यायालय का फैसला हालांकि कोई नया नहीं है, क्योंकि मौजूदा कानून धर्म के नाम पर वोट मांगने पर रोक लगाता है। लेकिन, अब इस आदेश को पूरे उत्साह के साथ लागू किया जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर संज्ञान लिया है, जो इस बात का सबूत है कि राजनीतिक दल वोट मांगने के लिए धर्म के नाम का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं।  सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि जाति, समुदाय, धर्म तथा भाषा के नाम पर वोट मांगना अवैध है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर के नेतृत्व में एक संवैधानिक पीठ ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 (3) के आधार पर 4:3 के बहुमत से फैसले के आदेश को पारित किया।

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