चाय बागान मजदूरों के वेतन का एक हिस्सा नकद भुगतान हो : सैकिया
गुवाहाटी | असम में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह चाय बागान के मजदूरों के वेतन का एक हिस्सा नकद में देने का प्रबंध करे, ताकि नोटबंदी के कारण नकदी संकट का सामना कर रहे मजदूरों को राहत मिल सके। केंद्र सरकार द्वारा देश में आठ नवंबर को की गई नोटबंदी तथा नकदी रहित लेनदेन को बढ़ावा देने के मद्देनजर, सैकिया ने यह अपील की है। असम के चाय बागानों के मजदूर नोटबंदी के सबसे अधिक प्रभावितों में से हैं, क्योंकि इन बागानों में मजदूरों को वेतन हर सप्ताह नकद में दिया जाता रहा है।
सैकिया ने कहा, “नोटबंदी के बाद असम सरकार ने चाय बागान के मजदूरों का बैंक खाता खुलवाने के लिए कदम उठाए थे। लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत की बात यह है कि अधिकांश चाय बागानों के पास बैंक या एटीएम अभी तक नहीं है, जिसके कारण उनकी हालत और बदतर हो गई है।” देबब्रत सैकिया असम के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत हितेश्वर सैकिया के बेटे हैं और नजीरा विधासभा क्षेत्र से विधायक हैं।
नोटबंदी के बाद असम सरकार ने चाय बागान के मजदूरों को साप्ताहिक वेतन देना बंद कर दिया और उनका बैंक खाता खुलवाने के प्रयास तेज कर दिए, ताकि उनके खाते में उनकी मजदूरी इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्थानांतरित की जा सके। सरकार ने घोषणा की थी कि अगर कोई मजदूर बैंक खातों के माध्यम से अपना वेतन लेता है, तो उसे तीन महीने पर 100 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
सैकिया ने कहा, “मेरा निर्वाचन क्षेत्र सैकिया चाय बागानों से घिरा है और मैं नोटबंदी के बाद चाय बागान मजदूरों की दयनीय हालत को देख सकता हूं। बागान के निकट बैंक या एटीएम न होने से मजदूरों को अपने पैसे निकालने के लिए सबसे नजदीक के एटीएम जाने के लिए तीन से नौ किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।”
उन्होंने कहा, “माकेपुर टी एस्टेट इसका एक उदाहरण है। बागान में 2,900 मजदूर काम करते हैं, जिनमें से अब तक केवल 2,198 मजदूरों के पास बैंक खाता खुल सका है। सबसे नजदीकी एटीएम गेलाकी में है, जो आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है,जबकि दूसरा एटीएम नजीरा में है, जो बागान से नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।”
सैकिया ने कहा, “यह केवल एक बागान की हालत नहीं है। सैकड़ों चाय बागानों के लाखों मजदूर इसी तरह के हालात का सामना कर रहे हैं।” विपक्ष के नेता ने कहा, “सरकार उनके वेतन का एक हिस्सा नकद में देने पर विचार कर सकती है, जबकि बाकी वह उनके खाते में इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्थानांतरित कर दे। इससे उन मजदूरों को राहत मिलेगी, जो राज्य के सुदूरवर्ती इलाकों में नकदी के लिए संघर्षरत हैं।”