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सीबीएसई 10वीं में बोर्ड परीक्षा अनिवार्य होगी

cbse-10th-result-2-620x400सीबीएसई 10वीं में बोर्ड की परीक्षा जल्द ही फिर से अनिवार्य हो जाएगी। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की 25 अक्तूबर को होने वाली बैठक में इस पर प्रस्ताव लाया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस मुद्दे पर राज्यों की इच्छा जानने की योजना भी बनाई है।

मंत्रालय ने मंगलवार को केब बैठक की कार्यसूची में कुछ नए प्रस्ताव जोड़े हैं। इनमें10वीं बोर्ड परीक्षा अनिवार्य बनाने, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को युक्तिसंगत बनाने, सीखने की प्रवृत्ति में सुधार करने, नेशनल एचीवमेंट सर्वे करने, सेकेंडरी कक्षाओं में व्यावसायिक शिक्षा का विस्तार करने, शिक्षा को तनावमुक्त बनाने जैसे बिन्दु शामिल हैं। इन पर राज्यों के विचार जानने के बाद सरकार आगे कदम बढ़ाएगी।

शिक्षा विशेषज्ञ लगातार इस व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे छात्रों को नुकसान हो रहा है। अगर 10वीं में बोर्ड होगा तो बच्चे खुद को 12वीं की परीक्षा के लिए बेहतर तैयार कर पाएंगे।

स्कूल के पास आंगनबाड़ी : बैठक में एक अन्य प्रस्ताव पर भी चर्चा होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केंद्रों को स्कूलों के निकट स्थापित करने की योजना है। मकसद यह है कि आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-स्कूलिंग केंद्र के रूप में विकसित किया जाए। लेकिन इसके लिए सबसे पहले उन्हें स्कूलों में या स्कूलों के साथ खोलना होगा। दरअसल, इसी बैठक में शिक्षा के अधिकार कानून को प्री-प्राइमरी तक विस्तारित करने का भी प्रस्ताव है।

उधर, इसे 8वीं की बजाय 10वीं तक किया जाएगा। ऐसे में सरकार की योजना आंगनबाड़ी केंद्रों के उपयोग की है। महिला एवं बाल विकास मंत्री और अधिकारी भी बैठक में उपस्थित रहेंगे।

ऐसा और कहीं नहीं : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को छोड़कर किसी भी बोर्ड में 10वीं की परीक्षा वैकल्पिक नहीं है।

2011 में यूपीए-2 के कार्यकाल में सतत एवं समग्र मूल्यांकन नियम शुरू किया गया था। इसके तहत तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने 10वीं में बोर्ड परीक्षा को वैकल्पिक बना दिया था।

70 फीसदी के करीब छात्र सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा नहीं देते हैं, जबकि 30 फीसदी अब भी यह परीक्षा देते हैं।

स्मृति ईरानी ने मानव संसाधन विकास मंत्री रहते हुए लोकसभा में कहा था कि 10वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा वैकल्पिक बनाने का शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है। इसे फिर से अनिवार्य बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

12वीं के छात्र 2017 से किसी भी विषय का पुनर्मूल्यांकन नहीं करवा सकेंगे। सीबीएसई के अनुसार बहुत कम छात्र होते हैं जिनकी पुनर्मूल्यांकन वास्तविक पाई जाती है।

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