हल्के में न लें थकान, उल्टी और टखनों में सूजन जैसी परेशानियों को
अगर आपको अक्सर सांस लेने में तकलीफ हो, थकान, उल्टी और टखनों में सूजन हो तो इसे हल्के में ना लें क्योंकि ये दिल की बीमारी के संकेत हो सकते हैं।
एक स्टडी के मुताबिक भारत में दिल की बीमारी की पहचान होने के एक साल के भीतर करीब 23 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है। हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संदीप सेठ का कहना है कि दिल की बीमारी के खतरों को कम करने के लिए मरीजों को मधुमेह (डायबिटीज़), उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर), सांस व फेफड़े संबंधी अन्य तकलीफों से बचना ज़रूरी होता है।
डॉ. सेठ ने कहा कि दिल की बीमारी कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। देश में आज हर तरह के दिल के मरीजों का इलाज संभव है मगर एहतियात सबसे ज्यादा जरूरी है। ऐहतियात नहीं बरतने और वक्त पर ईलाज नहीं होने पर दिल की बीमारी से पीड़ित मरीजों को बचाना मुश्किल हो जाता है।
आमतौर पर दिल की बीमारी 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखी जाती है लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है बच्चों को दिल की बीमारी नहीं होती है। कई बच्चों को जन्म से भी दिल की बीमारी होती है।
” हार्ट ट्रांसप्लांट में करीब 10 लाख रुपये खर्च होते हैं, जिसे सर्जरी पर 1.5 लाख से दो लाख रुपये खर्च होते हैं. उससे पहले जांच में 20,000-30,000 रुपये खर्च होते हैं। सर्जरी के बाद दो साल तक दवाई व मरीज की देखभाल, पोषण पर खर्च है।” डॉक्टर सेठ ने आगे बताया।