एक-दूसरे की बीवियों ने अपने नहीं, दूसरे के पति की जान बचाई, जानें पूरा सच यहां
हैदराबाद। हैदराबाद में स्वॉप ट्रांसप्लांट का दुर्लभतम मामला आया है। यहां दो महिलाओं ने एक-दूसरे के पति को किडनी देकर उन्हें काल के गाल में जाने से बचा लिया। दोनों अलग-अलग हॉस्पिटल में भर्ती थे। पत्नियों का अपने पति से ब्लड ग्रुप मैच नहीं हो रहा था। डॉक्टर के काफी प्रयास के बाद ही यह अनूठे किस्म का ट्रांसप्लांट हो सका।
डॉक्टरों ने बताया कि करीमनगर के रहने वाले बिल्ला मल्लैह (45) को डेकन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उन्हें तत्काल किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। उनकी पत्नी बी पदमा अपने पति को किडनी देना चाहती थीं, लेकिन उनका ए–पॉजिटिव ब्लड ग्रुप पति के बी–पॉजिटिव ब्लड ग्रुप से मेल नहीं खा रहा था।
इसी तरह केआईएमएस हॉस्पिटल में वारंगल के रहने वाले बनोट राजू भर्ती थे। उन्हें भी तत्काल किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत थी, लेकिन उनकी पत्नी का ब्लड ग्रुप बी–पॉजिटिव था और उनका ए–पॉजिटिव। इसी कारण दोनों पत्नियां अपने-अपने पति को किडनी डोनेट नहीं कर सकती थीं।
डॉक्टरों ने एक-दूसरे से बात करने के बाद स्वॉप ट्रांसप्लांट की तैयारी कर ली थी। इस सर्जरी के बाद साउथ इंडिया में स्वॉप ट्रांसप्लांट का यह पहला मामला आया है। डॉ. एन पवन कुमार ने बताया कि रीनल ट्रांसप्लांट के लिए ब्लड ग्रुप का समान होना जरूरी है।
बिल्ला के मामले में ब्लड ग्रुप मैच नहीं किया तो उन्होंने उनके डॉक्टर दोस्त से संपर्क कर ऐसे व्यक्ति की तलाश करने को कहा, जिसका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव हो और वह किडनी डोनेट कर सके। उन्हें केआईएमएस हॉस्पिटल के नेफ्रॉलजिस्ट डॉ. ई रवि का फोन आया और उन्होंने उनके मरीज के बारे में बताया।
बातचीत के बाद अधिकृत लोगों की अनुमति लेकर ट्रांसप्लांट की तैयारी की गई। उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी चेतावनी यह थी कि दोनों ट्रांसप्लांट एक ही समय में किए जाने थे।
एक सर्जरी में कुछ गड़बड़ होती है तो दूसरे की जान का भी खतरा था। सर्जरी के दौरान दोनों डॉक्टर एक दूसरे से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संपर्क में रहे। ट्रांसप्लांट सफल रहा और अब दोनों की हालत ठीक है।