‘चीन में हर साल 12 लाख तो भारत में 40 हजार पेटेंट आवेदन’
रूड़की, 26 मार्च (आईएएनएस)| बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) मामले में चीन खिलाड़ी बनकर उभरा है जहां हर साल 12 लाख लोग पेटेंट के लिए आवेदन करते हैं, इसकी तुलना में भारत इस मामले में काफी पिछड़ा है। भारत में हर साल 40 हजार पेटेंट के लिए आवेदन किया जाता है। बौद्धिक संपदा अधिकार के महत्व को समझते हुए क्वांटम यूनिवर्सिटी ने बौद्धिक संपदा अधिकार सेल (आईपीआर सेल) का गठन किया है। बौद्धिक संपदा अधिकार सेल (आईपीआर सेल) कार्यप्रणाली के संबंध में छात्रों और विद्वानों को जानकारी देने के लिए क्वांटम यूनिवर्सिटी के कैंपस में वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें इनोबल आई एंड वुमन इनोवेशन एंटरप्रेन्योरशिप की सीईओ श्वेता सिंह ने कहा कि जैसे किसी जमीन-जायदाद का मालिक बनने के लिए रजिस्ट्रेशन पेपर की जरूरत होती है। इसी तरह रचनात्मक और बौद्धिक कार्यो का पेंटेंट हमें बताता है कि उस रचना, लेख, शोधप्रबंध या संगीत का मूल रचयिता कौन है?
कार्यशाला में मौजूद लोगों को बौद्धिक संपदा से जुड़े विषयों की अवधारणा समझाते हुए उन्होंने कहा कि पेंटेंट और कॉपीराइट की महत्ता की तुलना जमीन के रजिस्ट्रेशन से की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि चीन में जहां हर साल 12 लाख लोग पेटेंट के लिए आवेदन करते हैं, वहीं भारत में हर साल 40 हजार पेटेंट के लिए आवेदन किया जाता है।
डॉ. सिंह ने एप्पल की ओर से लागू की गई पेटेंट डायनेमिक्स का जिक्र किया। एप्पल की केवल 15 प्रॉडक्ट्स के साथ मार्केट में प्रभावशाली भूमिका है। इसके पीछे कारण यह दिया जा रहा है कि कंपनी के इन्हीं 15 श्रेणियों में 15 हजार पेटेंट है। कंपनी के हरेक प्रॉडक्ट के लिए 1000 पेटेंट हैं।
डॉ. श्वेता सिंह ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने मूल काम के लिए रॉयलटी तब-तब मिलती है, जब-जब उसके काम का इस्तेमाल किया जाता है। किसी क्रिएटिव वर्क का कॉपीराइट उसके रचनाकार की मौत के 60 साल बाद तक वैध रहता है।
यूनिवर्सिटी के उपाध्यक्ष शोभित गोयल ने कहा कि क्वांटम ने कम से कम 30 पेटेंट का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। क्वांटम के पास शोध कार्य को अपना पूरा समर्थन देने का आधारभूत ढांचा है। सभी छात्रों और टीचरों ने इस दिशा में प्रयास करने शुरू कर दिए हैं।