अंतर्राज्यीय माल परिवहन के लिए 1 अप्रैल से ई-वे बिल आवश्यक
नई दिल्ली, 24 फरवरी (आईएएनएस)| वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत अब एक अप्रैल से 50,000 हजार रुपये से अधिक मूल्य की वस्तुओं को एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने के लिए ई-वे बिल देना आवश्यक होगा। इसकी योजना दो महीने पहले ही तैयार की गई थी। जीएसटी परिषद की 10 मार्च को होने वाली बैठक में सूचना प्रौद्योगिकी पर मंत्रियों के समूह की सिफारिश पर विचार किया जाएगा। यह बात समूह के संयोजक और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शनिवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कही।
उन्होंने कहा, हालांकि अंतर्राज्यीय माल परिवहन के लिए इसे लागू करने की तिथि का अभी निर्धारण नहीं किया गया है और इसे चार-पांच राज्यों के साथ चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
ई-वे बिल तैयार करने व धारण करने की अनिवार्यता एक फरवरी से लागू की जानी थी, लेकिन तकनीकी खामियों के चलते इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था।
बिहार के वित्तमंत्री मोदी ने कहा, इस समय दो चरणों का भार परीक्षण पूरा होने होने पर सुचारु ढंग से इसे लागू करने के लिए टिकाऊं तरीके से आधारभूत अवसंरचना को उन्नत बनाया गया है। अगले कुछ दिनों में तीसरा चरण भी पूरा कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा, हम रोजाना 26 लाख से 50 लाख रिटर्न दाखिल होने की उम्मद करते हैं, जो आगे बढ़कर 75 लाख तक हो सकता है। इसलिए हम उसकी तैयारी कर रहे हैं।
नई कर व्यवस्था एक जुलाई से अमल में आने के बाद से माल परिवहन का पता लगाने व कर चोरी रोकन के लिए डिजाइन की गई इस इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज प्रणाली का कार्यान्वयन लंबित था।