सीजीटीएमएसई में नीतिगत बदलाव की घोषणा
नई दिल्ली, 20 फरवरी (आईएएनएस)| सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्रेडिट गारंटी निधि ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) ने एमएसएमई सेक्टर में क्रेडिट प्रवाह बढ़ाने के मकसद से क्रेडिट गारंटी स्कीम में कुछ महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव के साथ मंगलवार को नए सिरे से सीजीटीएमएसई शुरू किया।
यहां आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय सूक्ष्म एवं लघु उद्यम राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि इस एमएसएमई सेक्टर में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं और सीजीटीएमएसई में किए गए नीतिगत परिवर्तन से इस क्षेत्र के उद्यमियों को फायदा होगा।
भारत सरकार और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) ने अगस्त 2000 में सीजीटीएमएसई की स्थापना की थी। इसका मकसद एमएसएमई मंत्रालय द्वारा शुरू की गई क्रेडिट गारंटी स्कीम का परिचालन करना था। सीजीटीएमएसई की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, विगत वर्षों में एमएसएमई सेक्टर में इसके योगदान को देखते हुए ट्रस्ट की निधि 2,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7,500 करोड़ रुपये कर दी गई है।
सडबी के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक मोहम्मद मुस्तफा ने सीजीटीएमएसई में नीतिगत बदलाव की घोषणा करते हुए कहा, इस नीतिगत बदलवा से सूक्ष्म व लघु उद्यमों को क्रेडिट मिलने की दिशा में सुधार होगा और इससे आर्थिक समृद्धि आएगी और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
सीजीटीएमएसई के अंतर्गत अब वार्षिक गारंटी शुल्क (एजीएफ), बकाया ऋण राशि पर लगाया जाएगा, न कि मंजूर ऋण राशि पर (जैसा अब तक किया जा रहा था)।
सीजीटीएमएसई की ओर से कहा गया कि यह मांग सदस्य ऋणदात्री संस्थातओं (एमएलआई) द्वारा काफी लंबे समय से की जा रही थी।
ऋण गारंटी योजना (सीजीएस) का विस्तार करते हुए इसमें एमएसई क्षेत्र के खुदरा व्यापारी वर्ग को कवर किया गया है।
सबसे अहम बदलाव यह है कि अब पर ऋण गारंटी योजना के अंतर्गत आंशिक जमानत पर बैंकों को ऋण प्रदान करने की अनमुति होगी। साथ ही, 50 लाख रुपये से ऊपर के प्रस्तोवों के लिए गारंटी कवरेज का विस्तार करने से यह योजना सदस्य ऋणदात्री संस्थाओं के लिए और अधिक आकर्षक होगी तथा इससे इस वर्ग में ऋण-प्रवाह बढ़ेगा।