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डाटा संरक्षण पर मार्च तक तैयार होगा विधेयक : केंद्र

नई दिल्ली, 23 जनवरी (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय को जानकारी दी कि डाटा संरक्षण पर बहुप्रतीक्षित विधेयक मार्च तक तैयार हो जाएगा।

इसका मसौदा सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी.एन. श्रीकृष्णा की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञों की एक समिति तैयार कर रही है। महान्यायवादी के. के. वेणुगोपाल ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की संवैधानिक पीठ को इसकी सूचना दी। यह पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है जिसमें आधार अधिनियम की संवैधानिक वैधता को निजता के मौलिक अधिकार के उल्लंघन के आधार पर चुनौती दी गई है।

सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी.एन. श्रीकृष्णा की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञों की इस समिति में दूरसंचार विभाग के सचिव अरुणा सुंदरराजन, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के प्रमुख अजय भूषण पांडे, मेटवाई के अतिरिक्त सचिव अजय कुमार, आईआईटी-रायपुर के निदेशक प्रोफेसर रजत मूना, राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा संयोजक गुलशन राय, आईआईएम-इंदौर के निदेशक प्रोफेसर ऋषिकेष कृष्णन, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के अघ्र्या सेनगुप्ता, भारतीय डाटा सुरक्षा परिषद की रमा वेदश्री शामिल हैं।

वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने बहस के दौरान कहा कि आधार अधिनियम प्रावधानों से पता चलता है कि इसके अंतर्गत खुद ही भारतीय नागरिकों के जनसांख्यिकीय और बायोमेट्रिक आंकड़े निजी संस्थाओं के साथ साझा किए जा सकते हैं।

इस पर न्यायालय ने कहा, अगर आधार योजना को लागू करने में कुछ ‘समस्या’ है, जिसके वजह से डाटा लीक हो रहा है, इसकी खामियों को दूर किया जा सकता है।

इस पर दीवान ने कहा, एक लोकतांत्रिक खुले समाज में डाटा संग्रह से सामंजस्य नहीं बैठाया जा सकता। पूरा कार्यक्रम खराब है क्योंकि सभी को जनसांख्यिकीय और बायोमेट्रिक आंकड़े को सुरक्षित करने का खुद अधिकार होना चाहिए।

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