मैगी के नमूने फिर जांच में फेल, लगा 35 लाख का जुर्माना
शाहजहांपुर। अपनी गुणवत्ता को लेकर पहले से विवादों में रही नेस्ले कंपनी की मैगी के सैम्पल जांच में इस बार भी फेल हो गए हैं। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में खाद्य एवं औषधि विभाग ने मैगी के सैम्पल लेकर उन्हें जांच के लिए लैब में भेजा था। लेकिन मैगी की गुणवत्ता तय मानकों पर खरी नहीं उतरी। इसके चलते प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए नेस्ले कंपनी समेत डिस्ट्रीब्यूटर और विक्रेताओं पर लाखों का जुर्माना लगाया है।
बताया जाता है कि मैगी सैम्पल फेल होने पर 35 लाख का जुर्माना नेस्ले कम्पनी पर लगाया गया है, जबकि डिस्ट्रीब्यूटर समेत छ विक्रेताओं समेत पर 17 लाख का जुर्माना लगा है। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि खाद्य एवं औषधि विभाग ने राज्य में एक अभियान के तहत बीती 5 फरवरी को शाहजहांपुर में एक जनरल स्टोर से मैगी नूडल्स के नमूने जमा किए थे।
नियम के मुताबिक मैगी मसाले की राख की मात्रा एक फीसदी होनी चाहिए, लेकिन जांच में यह मात्रा 1.85 प्रतिशत मिली है।
एक बार मैगी नूडल्स फिर सवालों के घेरे में आ चुकी है। मल्टी नेशनल कंपनी के लोकप्रिय प्रोडक्ट मैगी के कई नमूने जांच में फेल हो गए हैं। नमूने फेल हो जाने के बाद जिला प्रशासन ने मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले पर 35 लाख रुपये का जुर्माना ठोक दिया गया है।
बता दें कि 2015 में 29 और 30 मई और आठ व 12 जून को जिले मे विभिन्न स्थानों से नेस्ले के वितरकों और विक्रेताओं से मैगी छोटू, मैगी टू मिनट्स नूडल, मैगी मसाला, मैग वेज आटा नूडल्स, मैगी मीट्रिलिटियस, मैगी पास्ता आदि उत्पादों के नमूने जमा किए गए थे।
नेस्ले ने दी सफाई
नेस्ले इंडिया ने प्रतिक्रिया में कहा कि ‘‘हम पूरे विश्वास के साथ दावा करते हैं कि मैगी नूडल्स 100 प्रतिशत सुरक्षित हैं। हमें अडजुडिकेशन अधिकारी की ओर से पारित आदेश नहीं मिले हैं, लेकिन हमें सूचना दी गई है कि ये नमूने साल 2015 के हैं। यह समस्या नूडल्स में ‘राख की सामग्री’ से जुड़ा है। यह मापदंडों के त्रुटिपूर्ण इस्तेमाल का मामला लगता है। आदेश मिलने के बाद हम तत्काल एक अपील दायर करेंगे।
2015 में नेस्ले इंडिया एवं अन्य कंपनियों ने औद्योगिक संगठनों के माध्यम से संबंधित अधिकारियों के सामने इंस्टैंट नूडल्स के लिए मापदंड स्थापित करने के लिए प्रतिनिधित्व किया था, ताकि प्रवर्तन अधिकारियों और ग्राहकों के मन में कोई भ्रम न रह जाए। इसके बाद मापदंड तय किए गए है और उत्पाद अब इन मापदंडों का पालन करता है। हमें इससे ग्राहकों के मन में पैदा हुए भ्रम पर खेद है।’