राष्ट्रीयस्वास्थ्य

फलों व सब्जियों का कम उपयोग करते हैं भारतीय

नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)| शहरों में पोषक आहार पर हाल ही में हुए एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन में पाया गया कि भारतीय खाद्य पदार्थो में मौजूद विभिन्न प्रकार की विविधता के बावजूद सूक्ष्म पोषक तत्वों और महत्वपूर्ण विटामिन की बहुत कम खुराक लेते हैं। अध्ययन में सामने आए आंकड़े बताते हैं कि हरी पत्तेदार सब्जियों की जिस मात्रा की सिफारिश की जाती है, वह प्रति व्यक्ति 40 ग्राम प्रतिदिन है। जबकि देश में इसका औसत आंकड़ा प्रति व्यक्ति केवल 24 ग्राम ही है। अनाज और बाजरा का औसत सेवन 320 ग्राम प्रतिदिन पाया गया है। वहीं दालों और फलियांे का सेवन 42 ग्राम प्रतिदिन देखा गया।

अध्ययन में कहा गया है जो लोग फलों और सब्जियों का अधिक सेवन करते हैं, वे हड्डियों की परेशानी से 42 प्रतिशत तक बचे रहते हैं। बहुत सारे फल और सब्जियां खाने, नमक पर नियंत्रण रखने और स्वस्थ वजन बनाए रखने तथा संतुलित आहार लेने से हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही अन्य गैर-संचारी रोगों जैसे टाइप 2 मधुमेह से बचने की संभावना बढ़ जाती है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) व हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के. के. अग्रवाल तथा आईएमए के मानद महासचिव डॉ. आर. एन. टंडन ने एक संयुक्त बयान में कहा, गैर-संचारी रोगों का भार बढ़ने के प्रमुख कारकों में से एक यह है कि लोग अस्वास्थ्यकर आहार लेते हंै जिसमें फलों और सब्जियों की कमी रहती है। भारत में गैर-संचारी रोगों और लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का बोलबाला है। अस्वास्थ्यकर भोजन मोटापे, रक्तचाप, रक्त शर्करा और रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है।

अनुसंधान के अनुसार, समृद्ध भारतीय अपनी दैनिक ऊर्जा का 30 प्रतिशत हिस्सा वसा से लेता है और पिछली पीढ़ियों की तुलना में आहार में फाइबर की आधी मात्रा का ही उपभोग करता है। भारतीयों में काफी हद तक चेतावनी के संकेतों को अनदेखा करने की आदत होती है।

डॉ. अग्रवाल ने कहा, हम धीरे-धीरे प्रौद्योगिकी पर निर्भर हो रहे हैं। व्यस्तता, लंबे समय तक काम करने, अज्ञानता और गतिहीन जीवन शैली से जीवन में तेजी से बदलाव आ रहे हैं। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक व्यक्ति भी पहले से तैयार नाश्ता खाने के विकल्प खोजते हैं और अक्सर दिन का महत्वपूर्ण भोजन छोड़ देते हैं।

उन्होंने कहा, फलों और सब्जियों को दैनिक रूप से थोड़ा-थोड़ा कर पांच बार सेवन करना चाहिए।

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