प्रदूषण से सुंदरता को लगता है ग्रहण : शहनाज हुसैन
नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)| वातावरण में जहरीला धुआं, धुंध तथा रासायनिक प्रदूषण जहां सांस, फेफड़ों तथा दिल की बीमारियों का मुख्य कारण माना जाता है वहीं दूसरी ओर वातावरण में फैले प्रदूषण की वजह से हवा में नमी की कमी हो जाती है। इससे त्वचा रूखी, सूखी होनी शुरू हो जाती है, जिससे त्वचा में फोड़े, फुंसी, चकत्ते, काले दाग धब्बे, झुर्रिया आनी शुरू हो जाती है और आप बदसूरत दिखने शुरू हो जाते हैं, जिससे बुढ़ापा समय से पहले दस्तक देना शुरू कर देता है।
सौंदर्य विशेषज्ञ शहनाज हुसैन के अनुसार, शरीर के बाकी हिस्सों की बजाय त्वचा पर वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषण सबसे पहले त्वचा के बाहरी स्तर पर प्रहार करता है, जिससे त्वचा पर प्रदूषण के विषैले तत्व जम जाते हैं, त्वचा में खुजली तथा एलर्जी पैदा हो जाती है। प्रदूषण का त्वचा पर तत्कालीन तथा दीर्घकालीन दोनों प्रकार के प्रभाव होते हैं।
उन्होंने कहा, पटाखों, औद्योगिक ईकाइयों के रासायनिक प्रदूषण से वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आती है, जिससे त्वचा का लचीलापन खत्म हो जाता है तथा एलर्जी, गंजापन, तथा अन्य त्वचा रोग उभर आते हैं। इससे आप समय से पहले ही बूढ़े तथा थके हुए दिखना शुरू हो जाते हैं।
शहनाज ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले विशेषकर महिलाओं को प्रदूषण के प्रभाव से बचने के उपाय करने चाहिए। प्रदूषण की वजह से त्वचा पर जमे मैल, गंदगी तथा प्रदूषक तत्वों की त्वचा से नियमित सफाई अत्यंत महत्वपूर्ण है। शुष्क त्वचा के मामले में क्लींजिंग क्रीम या जैल का प्रयोग कीजिए। तैलीय त्वचा के मामले में क्लीजिंग मिल्क या फेश वाश का उपयोग कीजिए। तैलीय त्वचा में क्लीजिंग के बाद फेशियल स्क्रब का प्रयोग कीजिए।
उन्होंने कहा कि क्लींजर खरीदते समय चंदन, नीम, तुलसी, ऐलोवेरा, नीलगिरी, पोदीना जैसे तत्वों से विद्यमान क्लींजर खरीदने को प्राथमिकता दें। इन क्लीजरों में जहरीले तत्वों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता की वजह से त्वचा की मैल तथा गंदगी को साफ करने तथा फोड़े फुंसियों के उपचार में मदद मिलती है। उदाहरण के तौर पर ऐलो वेरा प्रभावकारी माईस्चराइजर तथा एंटी आक्सीडेंट माना जाता है। खुबानी, गुठली तेल, गाजर बीज आदि पोषक तत्वों से विद्यमान क्लींजर त्वचा को प्रभावी ढंग से प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने में सक्षम रहते हैं।
सौंदर्य विशेषज्ञ शहनाज हुसैन के अनुसार, यदि आपकी त्वचा कील, मुहांसे, फुंसी आदि से ग्रसित रहती है तो आपको उन विशेष क्रीम का उपयोग करना चाहिए, जोकि त्वचा से तैलीय पदार्थो को कम करके त्वचा को संरक्षण प्रदान करते हुए समस्या का समाधान करें।
उन्होंने कहा कि त्वचा को धोने के बाद त्वचा में ताजगी तथा निखार के लिए त्वचा को गुलाब जल से धोइए। काटनवूल को ठंडे गुलाब जल में डुबोइए तथा इससे त्वचा को टोन कीजिए। इससे त्वचा के रक्त संचार में बढ़ोतरी होती है तथा त्वचा में लालिमा तथा आभा का संचार होता है। ग्रीन चाय भी स्किन टोकर का कार्य करती है। यदि चेहरे पर फोड़े, फुंसियां आदि हो तो चंदन पेस्ट में गुलाब जल मिलाकर इसे चेहरे पर लगाने के आधे घंटे बाद धो डालिए।
शहनाज के अनुसार, प्रदूषण के शरीर की त्वचा के प्रभाव को करने में ‘कवर क्रीम’ महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। चंदन क्रीम त्वचा को प्रदूषण से बचाने में काफी प्रभावी मानी जाती है। यह चेहरे पर रक्षात्मक कवर बना देती है तथा त्वचा को ठंडक प्रदान करती है। यह त्वचा में नमी बनाए रखने की क्षमता को बढ़ाती है तथा सभी प्रकार की त्वचा के लिए उपयोगी है।
उन्होंने कहा कि यदि आप प्रदूषण भरे वातावरण में लंबी यात्रा करते हैं तो आपके बाल सूखे, निर्जिव तथा बेजान हो सकते है। बालों में ताजगी बनाए रखने के लिए बालों को नियमित रूप से ताजे पानी से धोना चाहिए ताकि खोपड़ी पर जमे विषैली प्रदूषक तत्वों तथा मैल को साफ किया जा सके।
शहनाज हुसैन के अनुसार, बालों में शैंपू, सीरम तथा कंडीशनर लगाने से बालों का सामान्य संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। आमला मेहंदी, ब्राह्मी त्रिफला आदि तत्वों से पोषित शैंपू से बालों को ताजगी तथा पौष्टिकता प्रदान करने में मदद मिलती है। बालों में ताजगी लाने के लिए एक चम्मच शहद सिरका तथा एक अंडे का मिश्रण बनाकर इसे हल्के से खोपड़ी पर लगाकर आधा घंटा बाद बालों को ताजे, साफ पानी से धो डालिए।
शुद्ध नारियल तेल को गर्म करके इसे बालों पर लगाकर हाट थैरेपी दीजिए। तौलिए को गर्म पानी में डुबोकर पानी को निचोड़ने के बाद तौलिए को बालों में पगड़ी की तरह पांच मिनट तक लपेट लीजिए तथा इस प्रक्रिया को 3-4 बार दोहराइए उससे बालों तथा खोपड़ी में तेल को सोखने में मदद मिलेगी।
बालों में रात को सोते समय तेल की मालिश कीजिए तथा रात्रि भर बालों में तेल लगा रहने दीजिए तथा सुबह ताजे साफ पानी से बालों को धोइए।
वायु में प्रदूषण तथा गंदगी की वजह से आंखों में जलन तथा लालगी आ जाती है। इस दौरान आंखों को स्वच्छ ताजे स्वच्छ पानी से धोना चाहिए। आंखों को ठंडक तथा ताजगी प्रदान करने के लिए काटनवूल पैड को ठंडे गुलाब जल में भिगोकर आंखों पर आईपैड की तरह रखकर नीचे 15 मिनट तक आराम से लेट जाइए। इससे आंखों की थकान मिटेगी तथा आंखों में चमक आएगी।