लघु फिल्मों की जरिए ‘अनकही कहानियों’ को पेश करेंगे भारत बाला
जयपुर, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| ‘वंदे मातरम’ और ‘जन गण मन’ जैसे वीडियो में देशभक्ति की भावना व जोश को दर्शाने के लिए पहचाने जाने वाले फिल्मकार भारत बाला दुनिया को कम से कम 100 लघु फिल्मों के जरिए अब भारत की ‘अनकही कहानियों’ के बारे में बताने के लिए उत्साहित हैं।
इस परियोजना का नाम ‘इंडिया फिल्म कलेक्टिव’ है। चेन्नई के रहने वाले फिल्मकार ने आईएएनएस से यहां एमटीवी इंडिया संगीत सम्मेलन के दौरान बात की।
भारत ने कहा, यह एक प्रकार से विरासत से जुड़ी परियोजना है। यह भारत की अनकही कहानियों को लघु फिल्मों और कथाओं को दर्शाने के विचार के बारे में है। ये लघु कहानियां देश के लोगों, संगीत, परंपराओं, प्रथाओं के बारे में हैं, ये वृत्तचित्र के जैसे नहीं, बल्कि कहानी कहने के प्रारूप में हैं।
उन्होंने बताया कि ये लघु फिल्में 10 मिनट के भीतर की समयावधि में हैं। वह इन फिल्मों के डिजिटल तौर पर पेश करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि 47 लघु फिल्में वह पहले ही बना चुके हैं।
सम्मेलन में इंडिया फिल्म कलेक्टिव के हिस्से के रूप में उन्होंने एक कहानी की छोटी-सी झलक दिखाई। इसे ‘तालम’ नाम दिया गया है, जिसका अर्थ लय होता है। यह नौका दौड़ के बारे में एक संगीतमय फिल्म है।
साल 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान ‘जियो उठो बढ़ो जीतो’ संगीत वीडियो निर्देशित कर चुके भारत ने बताया कि भारत आधारित इन लघु फिल्मों के लिए सरकार के साथ कोई करार नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा, यह जनता द्वारा जनता के लिए है।
अपनी परियोजना को बड़े पैमाने पर भारत से प्रेरित होने के मद्देनजर यह पूछे जाने पर कि देश में राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में आते बदलाव के बारे में उनके क्या विचार हैं? उन्होंने कहा कि वह इसकी परवाह नहीं करते, लोगों में कोई बदलाव नहीं आया है। देश के आंतरिक भागों में जाने पर लोगों में कोई बलाव नहीं दिखेगा। भावनात्मक स्तर पर लोगों में कोई बदलाव नहीं है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक स्तर की बात छेड़ने पर भले ही लोग प्रतिक्रिया दें, लेकिन भावनात्मक स्तर पर उनमें कोई बदलाव नहीं आया है।
फिल्मी मोर्चे पर भारत ने धनुष अभिनीत तमिल फिल्म ‘मरयां’ (2013) से अपने सफर की शुरुआत की थी।