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पेट कोक व फर्नेस ऑयल पर रोक से सीजीडी कंपनियों को होगा लाभ : आईसीआरए

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)| हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने पेट कोक और फर्नेस ऑयल के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में विभिन्न फैक्टरियों में प्रयोग पर रोक लगा दी है।

इसके साथ ही अदालत ने राजस्थान, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश की सरकारों को यह निर्देश दिया है कि वे इस प्रतिबंध की अधिसूचना तुरंत जारी करें, जो 1 नवंबर 2017 से लागू है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश एनसीआर क्षेत्र में उच्च स्तर के प्रदूषण को देखते हुए जारी किया है। दिल्ली में हालांकि इन ईधन पर 1996 में ही रोक लग गई थी, लेकिन एनसीआर क्षेत्र में ईंट भट्टों, मशीनी इकाइयां और रंगाई इकाइयों में इनका प्रयोग जारी था।

आईसीआरए के मुताबिक, प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के अलावा इस प्रतिबंध से औद्योगिक उपयोगकर्ताओं पर प्राकृतिक गैस जैसे वैकल्पिक ईंधन का इस्तेमाल करने को लेकर प्रभाव पड़ेगा।

आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख (कार्पोरेट रेटिंग्स) ने बताया, जो औद्योगिकी इकाइयां पेट कोक और फर्नेस ऑयल का इस्तेमाल कर रही है, उन्हें अब प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल करना होगा, जिससे शहर की गैस वितरण कंपनियों (सीजीडी) को फायदा होगा।

उन्होंने कहा, एनसीआर में मध्यम अवधि में पीएनजी (औद्योगिक) गैस के इस्तेमाल में जोरदार तेजी देखने को मिलेगी। हालांकि इसमें थोड़ा समय लग सकता है क्योंकि उद्योगों को नए ईंधन के अनुकूल होने के लिए कुछ बदलाव लाने होंगे। दूसरी तरफ सीजीडी इकाइयों को भी सभी इलाकों तक पाइपलाइन नेटवर्क पहुंचाने में समय लगेगा। हालांकि ऐसी कई इकाइयां हैं जो पहले से ही दोनों तरह के ईंधन का इस्तेमाल कर रही थी, उन्हें इसे अपनाने में समय नहीं लगेगा।

पेट कोक में सल्फर (7 फीसदी तक) की उच्च मात्रा होती है और इसमें वानाडियम, क्रोमियम जैसे धातु भी होते हैं। फर्नेस ऑयल में भी सल्फर (4.5 फीसदी तक) की उच्च मात्रा होती है। इन ईंधन को जलाने से सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड पैदा होते हैं, जिससे पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान होता है। हालांकि ये ईंधन उद्योगों के लिए सबसे सस्ता विकल्प है और हीटिंग और बिजली पैदा करने के लिए इनका ज्यादातर उपयोग किया जाता है।

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