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ऑक्टोपस से प्रेरित होकर बनाई ‘छलावरण त्वचा’

न्यूयॉर्क, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)| वैज्ञानिकों ने सिंथेटिक ‘छलावरण त्वचा’ विकसित करने का एक नायाब तरीका खोज निकाला है, जो ऑक्टोपस और कटलफिश से प्रेरित है।

ऑक्टोपस और कटलफिश दोनों ऐसे जीव हैं, जो तुरंत अपनी त्वचा का रंग बदल लेते हैं और पर्यावरण में गुम होने का तरीका उनके छलावरण कौशल का ही नमूना है।

यह जीव तेजी से और प्रतिवर्ती रूप से अपनी त्वचा को एक बनावट की शक्ल दे देते हैं, और 3डी सतह में रूपांतरित हो सकते हैं, जिससे इन जीवों की एक बड़े आकार की रूपरेखा मिल जाती है, जैसे कि समुद्री शैवाल, मूंगा जो अन्य वस्तुओं की नकल करते हैं, जो छलावरण का पता लगाते हैं और उपयोग करते हैं।

पत्रिका ‘साइंस’ में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कृत्रिम ऊतक समूह विकसित करने की जानकारी दी है और कहा है कि ऊतक समूह व 2डी विस्तारित सामग्री, दोनों का लक्ष्य 3डी आकृतियों की एक सीमा बढ़ाना और वापस लेना है।

पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य अध्ययनकर्ता लेखक जेम्स पिकुल ने कहा, इंजीनियरों ने नरम, विस्तारणीय सामग्रियों के आकार को नियंत्रित करने के लिए बहुत से तरीकों का विकास किया है, लेकिन हम इसे एक सरल तरीके से करना चाहते थे जो तेज, मजबूत और नियंत्रित करने में आसान हो।

उन्होंने कहा, हम देख रहे थे कि कैसे कैफलोपोड्स अपनी त्वचा की बनावट को बदलने में इतने सफल हैं, इसीलिए हम तैयार हुए और मांसपेशियों से प्रेरणा ली, जो कैफलोपोड्स को अपनी बनावट को नियंत्रित करने की अनुमति देते हैं, और इन विचारों को हमने नरम, खिंचाव वाली सामग्री के आकार को नियंत्रित करने के लिए एक विधि में इस्तेमाल किया।

अमेरिका के मैसाचुसेट्स की मरीन बायोलोजिकल प्रयोगशाला के रोजर हेनलोन ने कहा, यह जैव- प्रेरित इंजीनियरिंग के साथ कई संभावित अनुप्रयोगों का एक बेहद ही बेहतरीन उदाहरण है।

हेनलोन ने कहा, यह किसी भी स्थिति में काम कर सकता है, वहां भी, जहां आप किसी वस्तु के तापमान में हेरफेर करना चाहते हैं।

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