करवा चौथ: आखिर क्यों होती है करवाचौथ में चंद्रमा की पूजा?
लखनऊ। करवा चौथ का व्रत महिलाओं के लिए स्पेशल होता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन अपने पति के लिए व्रत रखती हैं और दुल्हन की तरह सज कर चांद की पूजा करती हैं।
पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जाने वाला करवाचौथ व्रत चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही समाप्त होता है। तो क्या कभी आपने कभी इस बात पर विचार किया है या ये समझने की कोशिश है कि आखिर क्यों करवाचौथ में चंद्रमा की पूजा होती है, अगर नहीं तो चलिए जानते हैं…
-छांदोग्योपनिषद् के अनुसार चंद्रमा पुरुष रूपी ब्रह्मा का रूप है जिसकी उपासना करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
-ऐसा महिलाओं को विश्वास है कि जैसे चंद्रमा को लंबी आयु का वरदान मिला है जिसके पास रूप, शीतलता और प्रेम और प्रसिद्धि है इसलिए सुहागिन स्त्रियां चंद्रमा की पूजा करती हैं जिससे ये सारे गुण उनके पति में भी आ जाए। जिससे उनका जीवन सुखमय बीते।
-चंद्रमा शांति को प्रदान करता है और मानसिक शांति से संबंध मजबूत होते हैं।
-चंद्रमा शिव जी की जटा का गहना है इसलिए दीर्घायु का भी प्रतीक है इसलिए संबंधों की मजबूती तथा पति की दीर्घायु की कामना को लेकर ही व्रत का समापन चंद्रदर्शन के साथ होता है।
-शादी से पहले हर लड़की यही चाहती है कि उसका पति सुन्दर हो रूपवान हो लड़की चाहती है कि रूप, शीतलता व प्रेम और लंबी आयु वाले पति उसे मिले इसलिए भारत में कुंवारी लड़कियां भी अपने अच्छे पति की कामना में ये व्रत रखती हैं।