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भारतीय कृषि के भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा

नई दिल्ली, 16 सितम्बर (आईएएनएस)| भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी में विज्ञान भारती के रजत जयंती समारोह में केएस सुदर्शन व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया जिसका उद्देश्य दुनिया में विज्ञान के विकास में भारत के योगदान को उजागर करना था।

इस समारोह में व्याख्यान का विषय ‘कृषि राज्य: अवसर और चुनौतियां’ पर केंद्रित था। विज्ञान भारती के महासचिव ए जयकुमार ने भारतीय कृषि के भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की। कुछ मुद्दों को समझाते हुए उन्होंने इस मुद्दे के संभावित समाधानों की तलाश में अपने मन का प्रयोग करने की बात कही। जयकुमार ने किसानों की हालत में सुधार लाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के साथ साथ परियोजनाओं को लाने का वचन दिया।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत सरकार के राष्ट्रीय नीति आयोग के सदस्य शंकर वी ततवावाडी ने की। समारोह में भारत के सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क के महानिदेशक डॉ.ओमकार राय, सीएसआईआर-एनपीएल के निदेशक डॉ. डी के असवल ने शिरकत की। इसके साथ ही कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी और दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, डीटीयू जैसे विश्वविद्यालयों में शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं के साथ ही स्नातकोत्तर छात्रों ने भाग लिया था।

शंकर वी. ततवावाडी ने कहा कि कैसे भारत ने दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में विज्ञान के क्षेत्र में खुद को उन्नत किया। उन्होंने कहा कि चरक सुश्रुत से लेकर वेंकटरमन रामकृष्णन ने विश्व विज्ञान के विकास के लिए योगदान दिया है। शंकर ने स्वदेशी तकनीक के महत्व पर जोर देते हुए वैज्ञानिकों और युवाओं से स्थानीय और सामाजिक रूप से समस्याओं के समाधान को खोजने के लिए आग्रह किया।

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