क्या आपको पता है थर्ड जेंडर का कैसे होता है जन्म, नहीं तो यह पढ़ें
दुनिया में भगवान ने सिर्फ दो ही तरह के प्राणियों का निर्माण किया था एक स्त्री और दूसरा पुरूष पर यहां प्रकृति ने एक और प्राणी जन्म दे दिया है जिन्हें न तो नर कहा जा सकता है और न ही मादा। इन्हें समाज में हम सभी लोग किन्नर और हिजड़ा के नाम से जानाते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि दरअसल किन्नर वो हैं जिनका जनन अंग जन्म से मृत्यु तक एक जैसा होता है। पर्सनैलिटी द्वारा अगर इनका वर्णन किया जाए तो यह पुरूष और स्त्री का मिश्रण होते हैं।
इनमें पुरूष और स्त्रियों के गुण एक समान पाये जाते हैं। लेकिन इनके रहने और पहनावे का तौर-तरीका सबसे अलग होता है। पुराणों की अगर बात करें तो किन्नरों का जन्म उनके पुराने गुनाहों के कारण हुआ था और इनको राजा-महाराजाओं के दरबारों की रक्षा के लिए रखा जाता था। पौराणिक गाथा महाभारत में वर्णन है कि पांडव अर्जुन को भी कई वर्षों तक किन्नर के रूप में रहना पड़ा था।
किन्नरों का राज दरबार मुगल दरबार में अलग से लगाया जाता था। ज्योतिषों की मानें तो यदि बच्चे के जन्म लेते समय 8 ग्रह शुक्र पर विराजमान हों और उन्हें शुक्र और सूर्य नहीं देख रहा हो तो बच्चा किन्नर पैदा होता है।
दूसरी ओर वैज्ञानिकों की मानें तो जन्म के समय अगर स्पर्म की अधिकता ज्यादा हो तो लडक़ा और ओवन की अधिकता ज्यादा हो तो लडक़ी पैदा होती है, लेकिन यदि दोनों की मात्रा एक समान हो तो बच्चा नपुंसक पैदा होता है और वह किन्नर कहलाया जाता है। तो ऐसे किन्नरों का जन्म होता है।
वैसे देखा जाए भारत में किन्नरों को एक विशेष स्थान प्राप्त है।
भारतीय समाज में किन्नरों को स्त्री और पुरुषों जितना सम्मान दिया जाता है। लेकिन फिर भी ऐसे कई लोग हैं जो इनसे दुव्र्यवहार करते हैं, जो कि बहुत ही गलत है। आखिर किन्नर भी इंसान ही होते हैं और इनके पास भी दिल होता है। इसलिए किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि वह उनसे दुव्र्यवहार करे। वह भी समाज में रह सकते हैं।