इस ऐतिहासिक मनकामेश्वर मंदिर को भगवान राम ने किया था स्थापित
इलाहाबाद। यमुना के उत्तरीतट पर ऐतिहासिक मनकामेश्वर मंदिर स्थित है। यहां भगवान शिव का लिंग प्रतिस्थापित है। मंदिर में शिवरात्रि और सावन के महीने में रुद्राभिषेक, महाभिषेक, महामृत्युंजय जाप कराने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं।
शहर के शिव मंदिरों में यह मंदिर सबसे मुख्य मंदिर माना जाता है। मान्यता है कि यहां दर्शन-पूजन से शारीरिक, मानसिक कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।
भगवान राम ने किया था स्थापित
मान्यता है कि मनकामेश्वर मंदिर की स्थापना भगवान राम ने अयोध्या से वनवास जाते हुए किया था। उन्होंने इस मंदिर में सिद्धेश्वर शिवलिंग की स्थापना कर जलाभिषेक किया था।
यहां वटवृक्ष के नीचे विश्राम कर चित्रकूट की ओर गए थे। ऐसा भी कहा जाता है कि अकबर की पत्नी जोधाबाई जब प्रयाग आईं थीं तब किले के निकट स्थित इस मंदिर में पूजा-अर्चना की थीं।
पिशाच योनि से मिलती है मुक्ति
मंदिर परिसर में ही शृणमुक्तेश्वर मंदिर है। यहां पर संगम में स्नान करने के बाद पूजन करने से पिशाच बाबा से मुक्ति मिलती है। इसलिए इसे पिशाचमोचन भी कहते हैं।
यहां पर दर्शन करने से यदि किसी का पिशाच योनि में जन्म हुआ हो तो मुक्ति मिल जाती है। पिशाचमोचन के पश्चिम में कामतीर्थ है यहां दर्शन करने से काम भावनाओं पर भी नियंत्रण होता है और मनोकामना पूरी होती है।
दक्षिणमुखी हैं हनुमानजी
मंदिर में एक और विशेषता है कि इस मंदिर में हनुमान जी की दक्षिणमुखी प्रतिमा है। 2013 में जब उत्तराखंड में जल प्रलय हुआ था उस दौरान मनकामेश्वर मंदिर में शिवलिंग एक महीने तक यमुना में जलमग्न था।
यहीं से संगम का हुआ अविर्भाव
मनकामेश्वर मंदिर के दक्षिण भाग में सीढ़ीनुमा मार्ग नीचे की ओर से यमुना जी में जाता है। यह सीढ़ी बहुत प्राचीन है, जिसका जीर्णोद्धार समय-समय पर किया जाता है।
यमुना का जल स्तर बढ़ने पर सीढ़ियों से मंदिर पहुंचा जा सकता है। यहीं पर अलौकिक नदी सरस्वती का प्रारंभ माना जाता है। यहीं से यमुना आगे चलकर उत्तर दिशा से आती हुई गंगा में मिल जाती हैं,जहां संगम का अविर्भाव होता है।
इस पर मनकामेश्वर मंदिर के पुजारी ब्रह्मचारी धरानंद से हमने बात की तो उन्होंने बताया, ‘यहां भगवान शिव सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। इसलिए इसका नाम मनकामेश्वर है।
मंदिर में रुद्राभिषेक के लिए कई भक्त एडवांस में बुकिंग भी कराते हैं। इस बार भी प्रशासन की मदद से श्रद्धालुओं की सुरक्षा, सुविधा और प्रसाद के लिए व्यवस्था की गई है।’