ज्यादा फल खाने वाले नरवानरों का मस्तिष्क होता था बड़ा
न्यूयार्क | बंदर से मानव जाति के पूर्वज नरवानर प्रजाति (प्राइमेट्स) जंगलों में रहते थे और भोजन के लिए ज्यादातर फलों पर ही निर्भर रहते थे, उनके मस्तिष्क का आकार बड़ा होता था। एक शोध में पाया गया है कि जो नरवानर फल (फ्रूगीवोरस) और घास-पत्तियां (फॉल्वीवोरस), दोनों खाते थे, उनका मस्तिष्क सिर्फ घास-फूस खाने वालों की तुलना में ज्यादा बड़ा होता था।
इसके अलावा मांसाहारी व शाकाहारी प्रजातियों (ओम्नीवोरस) का मस्तिष्क भी केवल घास-फूस खाने वाली प्रजातियों की तुलना में अधिक बड़ा होता था। अमेरिका की न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में हुए शोध की रिपोर्ट के मुख्य लेखक एलेक्स डीकैशियन ने कहा, “जंगल में जब फल आसानी नहीं मिल पाता था, तब वे फल की तलाश में दुर्गम जगह पर भी जाते थे और फलों तक पहुंचने के लिए उन्हें अधिक दिमाग लगाना पड़ता था। दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल करने के कारण नरवानर प्रजाति का मस्तिष्क अन्य की तुलना में अधिक विकसित होता चला गया।” शोध की रिपोर्ट ‘नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन’ पत्रिका में प्रकाशित हुई है।