राम मंदिर निर्माण फसाद की जड़ : निषाद
लखनऊ । राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौधरी लौटनराम निषाद ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को विकास की नहीं, फसाद की जड़ बताया है। साथ ही उस स्थान पर शिक्षा मंदिर बनाए जाने की वकालत की है। निषाद ने राम मंदिर निर्माण के नाम पर बवाल खड़ा कर सांप्रदायिक सौहाद्र्र के माहौल को न बिगाड़ने की अपील करते हुए कहा कि यह भारतीयता के लिए उचित नहीं होगा। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को फसाद की जड़ बताते हुए प्रेम-सौहाद्र्र के लिए वहां पर शिक्षा मंदिर बनाए जाने की वकालत की।
उन्होंने कहा कि यदि भाजपा सरकार राम मंदिर बनाना चाहती है तो श्रृंगवेरपुर में राम के बाल मित्र व मददगार निषाद राज गुहराज का भी मंदिर बनाने के बारे में सोचना चाहिए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के बयान ‘तुलसीदास अकबर को राजा नहीं मानते थे’ पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए निषाद ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास न तो राष्ट्रवादी थे और न हिंदुत्ववादी, बल्कि वह तुच्छ जातिवादी व फिरकापरस्त थे, जिसका तमाम उदाहरण ‘राम चरितमानस’ में मिलता है।
उन्होंने कहा कि राम चरितमानस में श्रृंगबेरपुर के निषाद राज जो राम के परम मित्र व वनवास काल के मददगार थे, उनके बारे में तुलसीदास ने लिखा है – ‘कायर कपटी कुमति कुजाति, लोकवेद बाहर सब भांति’ और ‘जे वरणाधम तेली कुम्हारा, स्वपच किरात कोल कलवारा’, जो तुच्छ जातिवाद का प्रमाण है। निषाद ने कहा, “योगी जिस गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर व महंत हैं, वह निषादों व तेली-साहू समाज की विरासत है। निषादवंशीय मत्स्येंद्र नाथ (मछेंद्रनाथ) गुरु गोरखनाथ के गुरु थे और उन्होंने ही हठ योग व योगीपंथ की स्थापना की थी और इस मठ का निर्माण तेली जाति के गोरखनाथ ने किया था।”