ईश्वरीय कृपा और अच्छे भाग्य का प्रतीक है ताइवान का लैन्टर्न फेस्टिवल
युनलिन | जिस तरह भारत में दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रतीक मानी जाती है, उसी तरह ताइवान में ईश्वर की कृपा और पूरे साल अच्छे भाग्य के लिए लैन्टर्न फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। यह नजारा बेहद खास होता है और इसे देखने के लिए देश और दुनिया से लाखों लोग ताइवान पहुंचते हैं। ताइवान पर्यटन बोर्ड के भारत स्थित दफ्तर में विपणन प्रबंधक के तौर पर कार्यरत नोएल सक्सेना कहते हैं, “चाइनीज न्यू इअर के बाद लैन्टर्न फेस्टिवल ताइवान का सबसे बड़ा त्यौहार है। इस साल यह उत्सव 11 फरवरी को युनलिन में शुरू हुआ। इस उत्सव के अंतर्गत कई नृत्य और संगीत के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। ऐसे में किसी विदेशी के लिए ताइवान जाने का यह सबसे अच्छा समय हो सकता है। ताइवान के पास दिखाने के लिए काफी कुछ है। उन्नत और विविध बाजार, लक्जरी रेजार्ट, एम्यूजमेंट पार्क, नाइट मार्केट, प्राकृतिक नजारे, गर्म पाने के झरने, जनजातीय संस्कृति और काफी कुछ है, इस देश में देखने के लिए।”
युनलिन ताइवान का दक्षिण-पश्चिमी काउंटी है और इसे अपने 28 साल के इतिहास में पहली बार मुख्य लैन्टर्न फेस्टिवल की मेजबानी मिली है। हर साल अलग-अलग काउंटी को मुख्य आयोजन का हक मिलता है। युनलिन स्थित हुवेई टाउनशिप में इस उत्सव के अंतर्गत 3000 के करीब लैन्टर्न लगाए गए हैं। ये लैन्टर्न अलग-अलग रंग-रूप में हैं और 50 एकड़ क्षेत्रफल में फैले हैं। यह लैन्टर्न फेस्टिवल के अब तक इतिहास में दर्शाए गए लैन्टर्न की सबसे बड़ी संख्या है। इस साल लैन्टर्न फेस्टिवल का थीम ‘फ्रेंडली अर्थ, डाइवर्स कल्चर’ है। इस साल युनलिन लैन्टर्न फेस्टिवल में जो सबसे बड़ा लैन्टर्न लगाया गया है, वह मुर्गे की आकृति है। इस लैन्टर्न की ऊंचाई 50 फुट से अधिक है और इसमें 20 हजार से अधिक बल्ब लगाए गए हैं। युनलिन प्रशासन को इस लैन्टर्न फेस्टिवल के आयोजन में एक करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च करने पड़े हैं, जो कि 70 करोड़ भारतीय रुपये के बराबर है।
राजधानी ताइपे में भी लैन्टर्न फेस्टिवल की धूम
ताइवान की राजधानी ताइपे में भी लैन्टर्न फेस्टिवल की जबरदस्त धूम है। देश के सबसे पुराने बाजारों में से एक योंगल बाजार में गहमागहमी है। यहां के दुकानदार अपने-अपने अंदाज में लैन्टर्न फेस्टिवल की तैयारी में जुटे हैं। बाजार पूरी तरह सज चुके हैं। युवा और हर वर्ग के लोग खरीददारी में जुटे हैं। अधिकांश दुकानों में लैन्टर्न बिक रहे हैं। इनका आकार और रंग मन मोहने वाला है। घर और पूरा शहर रंगों से सराबोर है। योंगल मार्केट में अपनी दुकान के आगे बैठे खुशमिजाज 81 साल के योंग ची लेन ने आईएएनएस से कहा, “हमारे पूर्वज चीन से आए थे। चीनी लोग मानते हैं कि नए साल की पहली पूर्णिमा पर ईश्वरीय शक्तियां धरती पर आती हैं और हम उन्हें आते हुए देख सकते हैं। पुरातन समय में लोग आग की लपटें जलाकर ईश्वरीय शक्तियों को देखने का प्रयास करते थे, जो आज लैन्टर्न फेस्टिवल का रूप ले चुका है।”
लेन कहते हैं कि आज उनका देश कई संस्कृतियों को साथ लेकर चल रहा है। उनकी दुकान में बैठे उनके पुत्र चोंग ली शी भी इससे सहमत नजर आए। चोंग ने कहा, “आज का ताइवान कई रंगों से सराबोर है। हमारे युवा आज कोरियाई पॉप पर नाचते हैं और चीनी तथा जापानी और यहां तक की भारतीय तथा पश्चिमी भोजन पसंद करते हैं। हम अपनी संस्कृति को भी बचाए रखते हुए कई अलग-अलग संस्कृतियों का आनंद ले रहे हैं और लैन्टर्न फेस्टिवल इसका भी शानदार नमूना पेश करता है।”
सभी धर्मो और समुदायों का त्यौहार है लैन्टर्न फेस्टिवल
एक समय ताइवान में बौद्ध धर्म का बोलबाला था लेकिन आज बड़ी संख्या में ईसाई भी बसते हैं। एक गणराज्य होने के नाते इस देश में सभी धर्मो को बराबर सम्मान प्राप्त है और लैन्टर्न फेस्टिवल ऐसा उत्सव है, जिसमें लोग धर्म और समुदाय की भावना से ऊपर उठकर हिस्सा लेते हैं। युनलिन से उत्तर-पूर्व में स्थित मशहूर सन-मून लेक के नानथू काउंटी में भी इसी तरह का नजारा है। यह स्थान युनलिन से डेढ़ घंटे की दूरी पर है।
पर्यटन उद्योग से जुड़ी इस्टर चेन कहती हैं, “एक समय हमारा मुख्य धर्म बौद्ध था लेकिन आज का समाज कई धर्मो में विभाजित है। इसके बावजूद इस देश में कमाल की एकता है। लोग एक दूसरे का सम्मान करते हैं। इसी कारण वे अपने देश और इसकी संस्कृति से प्यार करते हैं। युनलिन से लेकर ताइपे और ताइवान से लेकर बाकी के शहरों में लैन्टर्न फेस्टिवल की बराबर धूम रहती है और हर कोई इसे अपने तरीके से मना रहा होता है।”
जनजातीय समुदाय से ताल्लुक रखने वाली और अमेरिका में शिक्षित चेन ने कहा कि लैन्टर्न फेस्टिवल मुख्य रूप से युवाओं का त्यौहार है। परिजन अपने बच्चों को गिफ्ट में लैन्टर्न देते हैं, जिसे वे अच्छे भाग्य और शानदार भविष्य के लिए स्कूल लेकर जाते हैं। यह एक लिहाज से जन्मदिन मनाने जैसा है।
चेन ने कहा, “पूर्णिमा के दिन हम चावल का पकवान बनाते हैं। यह इस बात का प्रतीक है हमारी आयु एक साल और बढ़ गई है और इसी कारण हम अपने आगे के जीवन के लिए ईश्वर की कृपा चाहते हैं।”
हजारों साल पुराना है लैन्टर्न फेस्टिवल का इतिहास
लैन्टर्न फेस्टिवल का इतिहास हजारों साल पुराना है। चीनी परंपरा में इसकी शुरुआत की सटीक तारीख का अंदाजा नहीं लेकिन यह कहा जाता है कि हान साम्राज्य (206 ई. पू.-220 ई) के एक शासक ने बौद्ध परंपरा का पालन करते हुए अपने राज्य को लोगों को लूनर इअर (चंद्र वर्ष) के पहले महीने की 15वीं रात को बुद्ध के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए लैन्टर्न जलाने को कहा था।
इसके बाद टांग साम्राज्य (618-907 ई) के राजाओं ने सैकड़ों सुंदर महिलाओं को लैन्टर्न फेस्टिवल के दौरान गीत गाने और नृत्य करने को कहा। आज ताइवान में यह उत्सव आधुनिक अंदाज में मनाया जाता है। लाइट एंड साउंड शो का आयोजन होता है। लेजर लाइट्स दिखाए जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है। सुंदर नृत्यांगनाओं की जगह आधुनिक डांसरों ने ले ली है। ये जीप पर सवार होकर पूरे शहर में घूमती और नाचती हैं।
चेन ने कहा, “अब हम इस उत्सव को ठीक उसी अंदाज में मनाने लगे हैं, जिस अंदाज में यह चीन में मनाया जाता है। अब हम अपनी संस्कृति और परंपरा को खुलकर साझा कर रहे हैं। साथ ही हम दूसरी संस्कृतियों और परंपराओं को भी अपने साथ लेकर चल रहे हैं। उदाहरण के तौर पर यानशुई बीहीव फायरवर्क्स फेस्टिवल में बिल्कुल नए और अनोखे अंदाज में आतिशबाजी की जाती है। लोग इसका हिस्सा होते हैं और यह बेहद रोमांचक होता है।” 2017 को ‘इअर ऑफ द रूस्टर’ के तौर पर मनाया जा रहा है और इसी कारण इस साल ताइवान में लैन्टर्न फेस्टिवल की विशेष धूम है। यहां के बाजार रूस्टर और उल्लुओं से सजे हैं, जिन्हें चीनी और अब ताइवानी संस्कृति में शुभ माना जाता है।