मप्र में भाजपा का दामन हो रहा दागदार
भोपाल | मध्यप्रदेश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन अपनों की ही कारगुजारियों से दागदार होने लगा है। सामने आ रहे एक के बाद एक मामलों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर कई मंत्रियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह बात अलग है कि संगठन और सरकार अपना पल्ला झाड़कर दामन को पाक-साफ बताने की कोशिशे कर रही है। ताजा मामला आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) द्वारा पाकिस्तान को खुफिया जानकारी मुहैया करने वाले संदिग्धों की राज्य में की गई गिरफ्तारी से जुड़ा है। गिरफ्तार किए गए कुछ संदिग्धों की तस्वीरें भाजपा नेताओं से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज के साथ हैं, जिससे कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान लगातार इस बात को नकार रहे हैं कि संदिग्ध ध्रुव सक्सेना का भाजपा से कोई नाता है। उनका तर्क है कि यह सेल्फी का दौर है, कोई किसी के साथ भी सेल्फी ले लेता है, जबकि ध्रुव की मां रजनी सक्सेना लगातार अपने बेटे को भाजपा का सक्रिय कार्यकर्ता बता रही हैं। वह भाजपा और सरकार के मंत्रियों के रवैए से खफा है। उनका कहना है कि ध्रुव पार्टी के लिए काम करता रहा और आज पार्टी उससे पल्ला झाड़ रही है। उनका बेटा पूरी तरह निर्दोष है।
इतना ही नहीं, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंच पर उनके पीछे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लिए ध्रुव की तस्वीर सामने आई है। इसी तरह ग्वालियर की एक पार्टी का पारिवारिक सदस्य भी जासूसी के मामले में पकड़ा गया है।
जासूसी कांड में कथित तौर पर भाजपा से जुड़े लोगों के पकड़े जाने का यह ताजा मामला है। इससे पहले बीते दो माह की अवधि में तीन और ऐसे मामले आए हैं, जिसने भाजपा और सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। कटनी में पांच सौ करोड़ रुपये का हवाला मामले का खुलासा हुआ और खुलासा करने वाले तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी का ही तबादला कर दिया गया। इस हवाला कांड में कथित तौर पर सरकार के मंत्री संजय पाठक का नाम आया। तिवारी के तबादले को कटनी ही नहीं, प्रदेश के बड़े वर्ग ने पाठक के दबाव का नतीजा माना। यही कारण था कि कटनी में कई दिन तक विरोध-प्रदर्शन हुए।
सरकार तबादले को सिर्फ प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा बताती रही, मगर इसका जवाब किसी ने नहीं दिया कि महज छह माह में पुलिस अधीक्षक का तबादला क्यों किया गया।
इससे पहले नर्मदा नदी से क्षमता से अधिक रेत ले जाते हुए डंपरों के पकड़े जाने के मामले ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के लिए मुसीबत बढ़ाई थी, क्योंकि उनमें से चार डंपर मुख्यमंत्री के भतीजे प्रद्युम्न सिंह चौहान के थे। यह मामला इसलिए गंभीर हो गया, क्योंकि मुख्यमंत्री नर्मदा को बचाने के लिए स्वयं नर्मदा सेवा यात्रा निकाल रहे हैं, जबकि दूसरी ओर खनन के कारोबार में उनके परिवार के सदस्य लगे हैं।
इसके अलावा, भोपाल में एक सेक्स रैकेट में पकड़े गए लोगों में से कुछ के एक मंत्री के करीबी होने के खुलासे से भी सरकार की किरकिरी हो चुकी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा, “वर्तमान भाजपा सरकार के कार्यकाल में राज्य में वे सारे अनैतिक कार्य हो रहे हैं, जिन्हें भाजपा गाहे-बगाहे समाज विरोध करार देती रहती है। वह अपने को सबसे बड़ा राष्ट्र भक्त बताते नहीं थकती और उसी की पार्टी के कार्यकर्ता आईएसआई के लिए काम कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “नर्मदा नदी को बचाने के लिए मुख्यमंत्री यात्रा निकाल रहे हैं और दूसरी ओर उनके परिवार के लोग ही नर्मदा को खोदने में लगे हैं। भाजपा का चरित्र दोहरा है और राज्य की घटनाएं खुद इसे उजागर कर रही हैं।”
इन घटनाओं से राज्य की सियासत में आने वाले दिन काफी गहमागहमी भरे हो सकते हैं, क्योंकि अरसे बाद कांग्रेस को राष्ट्रवाद का नारा बुलंद करने वाली भाजपा को घेरने का मौका मिला है। जब पाकिस्तान के लिए जासूसी में शामिल पकड़े गए आरोपियों में से कई का नाता भाजपा से होना सामने आया है।