झारखंड में सांपों, आवारा कुत्तों का आतंक
रांची | झारखंड में जानवरों के काटने से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है। सर्पदंश से जहां करीब एक हजार लोग मर चुके हैं, वहीं 41 हजार से ज्यादा लोगों को कुत्तों ने काटे हैं। यह जानकारी राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने यहां दी। स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि साल 2016 के दौरान कम से कम 1178 लोग सर्पदंश के शिकार हुए, जबकि कुत्तों के काटने के बाद 41,178 लोगों को रेबीज रोधी इंजेक्शन लगाए गए थे।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “ग्रामीण इलाकों में रहने वाले अधिकांश लोग सर्पदंश के शिकार होते हैं, क्योंकि सांप झाड़ियों और छोटे जंगलों के आसपास रहते हैं। इसलिए गांव के लोग लगातार सांपों के संपर्क में आते रहते हैं।” सर्पदंश के सबसे अधिक मामले गढ़वा जिले में दर्ज किए गए थे, जहां सर्पदंश से कम से कम 283 लोगों की मौत हुई थी, जबकि देवघर जिले में सबसे कम मामले दर्ज किए गए, जहां सर्पदंश से केवल एक व्यक्ति की मौत हुई थी।
ये आंकड़े सरकारी अस्पतालों में लाए गए मरीजों के हैं। निजी अस्पतालों में पंजीकृत मामलों की जानकारी नहीं है। कुत्तों के टीकाकरण के काम करने वाले एक संगठन ‘होप एंड एनिमल ट्रस्ट’ का कहना है कि कुत्ता काटने के मामलों में 50 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जिन्हें उनके पालतू कुत्तों ने काटे थे।
संगठन के एक अधिकारी ने कहा, “रांची में 90 प्रतिशत लोग अपने कुत्ते को टीका नहीं लगवाते हैं। करीब 15,000 कुत्तों में दुर्भाग्यवश कुछ 50 से 60 लोगों के पास ही नगर निगम से लाइसेंस मिले हुए हैं।”
नगर निगम के एक अधिकारी के अनुसार, अगर लोग लाइसेंस प्राप्त करेंगे तो यह असैन्य अधिकारियों को टीकाकरण के रिकार्ड रखने के लिए भी सक्षम बनाएगा। इसके अतिरिक्त यह नगर निगम की आय बढ़ाने में भी मदद करेगा। उल्लेखनीय है कि केवल रांची में प्रतिदिन औसतन 200-250 लोगों को कुत्ते काटते हैं। इस साल जनवरी महीने में कुत्ता काटने के 2803 मामले सामने आए हैं।